हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आल्लामा शेख मोहम्मद हसन जाफ़री ने कहा कि यह समझौता न केवल दोनों भाई देशों के रिश्तों को नई ताकत देगा, बल्कि राजनीतिक, रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में पूरी उम्मत के लिए व्यापक अवसर भी पैदा करेगा। यह समझौता इस्लामी दुनिया के भविष्य को नई दिशा देने और मुस्लिम देशों के बीच वास्तविक एकता और सहयोग की बुनियाद को मजबूत करने का जरिया बनेगा।
अल्लामा जाफ़री ने कहा कि पाक-सऊदी समझौता कश्मीर मसले के साथ-साथ फिलिस्तीन, अफगानिस्तान और मध्य पूर्व के विवादों के समाधान में भी सकारात्मक भूमिका निभाएगा।
पाकिस्तान और सऊदी अरब की एकजुट और मजबूत आवाज दुनिया भर के पीड़ित मुसलमानों के लिए उम्मीद की किरण है। साथ ही रक्षा क्षेत्र में सहयोग क्षेत्र में शांति, स्थिरता और इस्लाम विरोधी ताकतों की नाकामी का कारण बनेगा।
इमाम जुम्मआ सकरदू ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में भी इस समझौते की बड़ी अहमियत है। ऊर्जा, निवेश, उद्योग, तकनीक और रोजगार के अवसरों के संदर्भ में यह कदम मुस्लिम युवाओं के भविष्य को रोशन करेगा और पूरी उम्मत को आर्थिक आत्मनिर्भरता के करीब ले जाएगा। इसीलिए इस्लाम विरोधी देशों में इस समझौते को लेकर भारी असंतोष और शोर मचा हुआ है, जो इसके दीर्घकालिक और प्रभावशाली परिणामों की सबसे बड़ी गवाही है।
उन्होंने कहा कि आज का समय एकता और एकजुटता का है। मुस्लिम देशों को अपने मतभेदों को पीछे छोड़कर एक-दूसरे का सहारा बनना होगा और उम्मत-ए-वाहिदा के व्यावहारिक विचार को दुनिया के सामने प्रस्तुत करना होगा, क्योंकि यही रास्ता उम्मत को इज़्ज़त, वक़ार और वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेगा।
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