हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, फ्लोटिला ग़ज़्ज़ा की नाकेबंदी तोड़ने के लिए रवाना हुई नौकाओं का बेड़ा है, जो पहले ही ग़ज़्ज़ा के करीब पहुंच चुका है। उन पर सवार कार्यकर्ताओं ने वहां धमाकों और ड्रोन की मौजूदगी की खबरें दी हैं। फ्रांस, इटली, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड्स और अन्य देशों के छात्र संगठन 'ग्लोबल रेसिस्टेंस फ्लोटिला' का समर्थन कर एकजुट हो गए हैं।
फ्रांसीसी छात्रों ने अपने एक संयुक्त बयान में कहा, "हम अपनी सरकारों को बताना चाहते हैं: अगर फ्लोटिला रोकी गई, तो हम कक्षाएं बंद कर देंगे।" यूरोपीय संसद की फ़्रांसीसी-फ़िलिस्तीनी सदस्य रिमा हसन ने भी इस समर्थन में वैश्विक एकजुटता का अनुरोध किया और अन्य छात्र संगठनों से इसमें शामिल होने की अपील की।
छात्रों ने विश्वविद्यालयों और हथियार बनाने वाली कंपनियों के बीच संबंधों की सख्त निंदा की और इस्राइल के साथ सभी रिश्ते खत्म करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने फ़िलिस्तीनी शरणार्थी छात्रों के बिना शर्त पंजीकरण और स्वागत की मांग की। बयान में कहा गया, "फिलिस्तीन का समर्थन कोई अपराध नहीं है!" छात्रों ने फिलिस्तीन के पक्षधर छात्रों और स्टाफ के खिलाफ कानूनी व प्रशासनिक कार्रवाई रद्द करने की भी मांग की।
इटली के नेपल्स और स्पेन के बार्सिलोना के छात्रों ने भी कक्षाएँ बंद करने की चेतावनी दी है। स्विट्जरलैंड के जेनेवा और बार्सिलोना के बंदरगाहों के कार्यकर्ताओं ने भी समर्थन जताते हुए चेतावनी दी है कि अगर फ्लोटिला रोकी गई तो वे पूरे यूरोप को बंद कर देंगे।
'ग्लोबल रेसिस्टेंस फ्लोटिला' अब गाजा से केवल 366 समुद्री मील दूर है। इस बेड़े में 40 से ज्यादा जहाज शामिल हैं। इसे यूनान, इटली, स्पेन और तुर्की जैसे कई देशों की नजर रखी हुई है। तुर्की के कोरजू एयरबेस से ड्रोन तीन दिनों से लगातार इसके ऊपर चक्कर लगा रहे हैं। आयोजकों ने कहा कि जैसे- जैसे फ्लोटिला अधिक खतरनाक इलाके में प्रवेश कर रहा है, वैश्विक निगरानी और एकजुटता की जरूरत बढ़ रही है। दूसरी ओर, इजराइल ने इसे रोकने का संकल्प लिया है और दावा करता है कि जहाज पर सवार लोग कानूनी नौसैनिक नाकेबंदी का उल्लंघन कर रहे हैं।
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