हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने उलेमा के पवित्र लिबास के महत्व पर बात करते हुए कहा:
आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने कहा: यह लिबास पैगंबर-ए-इस्लाम (स) का लिबास है। हमें बहुत सावधान और पवित्र रहना चाहिए। हम केवल अपनी बात लोगों के कानों तक पहुँचा सकते हैं, लेकिन बात कान से दिल तक हमारे अच्छे कर्मों से पहुँचती है, हमारी तक़रीरो से नहीं।
अगर हम किताब लिखते हैं, तो बस इतना होता है कि हमारी बातें लोगों की आँखों तक पहुँच जाती हैं, ताकि वे पढ़ सकें। लेकिन देखने से समझने तक, बाहर से अंदर तक बात हमारे अच्छे कामों के जरिए पहुँचती है।"
हमें अपनी क़ीमत पहचाननी चाहिए, क्योंकि हम ईश्वर के पैगंबरों के वारिस बनना चाहते हैं, हम अली इब्न अबी तालिब (अ) के बेटे कहलाना चाहते हैं।"
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