हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, हुजतुल-इस्लाम मौलाना सय्यद रूह ज़फ़र रिज़वी ने अपने ख़ुत्बा-ए-जुमा में कहा कि मुसलमान मुल्कों के सरबराहों की ख़यानतों और शरम अल-शेख के मुआहिदे को शर्मआवर मुआहिदा क़रार देते हुए कहा कि अगर वे अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की रिपोर्ट पढ़ लेते तो उन्हें पता चलता कि हज़ारों मासूम बच्चों सहित समाज के हर वर्ग के लोग उन हमलों में जान से मारे गए। इस शर्मआवर मुआहिदे को दो हफ़्ते हो चुके हैं, लेकिन किसी एक भी शर्त का अब तक पालन नहीं हुआ। दुश्मन से मुआहिदा करने के बजाय मुसलमान मुल्कों के नेताओं को साबित-क़दम रहने का मुज़ाहरा करना चाहिए था।
उन्होंने हिन्दुस्तान में जारी वक़्फ़ क़ानून के मामलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि न सिर्फ़ मुसलमान बल्कि हर आज़ाद-ख़याल इंसान जानता है कि यह क़ानून मुनासिब नहीं है। क़ानून के दायरे में रहते हुए इस क़ानून के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण विरोध करें। हुकूमत ने 5 दिसम्बर तक का वक़्त दिया है कि तमाम औक़ाफ़ को रजिस्टर करवाया जाए, लिहाज़ा आपसी इख़्तिलाफ़ात और मुतवल्लियों के झगड़ों को किनारे रखकर हर छोटे-बड़े वक़्फ़ को जल्द से जल्द रजिस्टर करवा लिया जाए।
मौलाना सय्यद रूह ज़फ़र रिज़वी ने वक़्फ़ क़ानून के सिलसिले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इक़दामात की हिमायत की तौसीअ करते हुए कहा कि अब तक ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तमाम इक़दामात क़ानून के दायरे में किए हैं और इंशा-अल्लाह आगे भी इसी दायरे में करते रहेंगे। इसलिए हमें इस मसले में उनकी हिमायत करनी चाहिए।
आख़िर में उन्होंने नौजवानों और जवानों की शिक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमें अपनी क़ौम के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए और उन्हें शिक्षआ हासिल करने की तहरीक और प्रोत्साहन देना चाहिए।
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