शनिवार 12 अप्रैल 2025 - 20:26
जन्नतुल बक़ीअ की मज़लूमियत को लगातार उजागर किया जाना चाहिए।मौलाना सैयद रूहे ज़फ़र रिज़वी

हौज़ा / मुंबई: खोजा शिया अशना अशरी जामा मस्जिद, पालागली में 11 अप्रैल 2025 को जुमे की नमाज़ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद रूहे ज़फ़र रिज़वी साहब क़िबला की इमामत में अदा की गई नमाज़े जुमआ के खुतबे में जन्नतुल बक़ी की मज़लूमियत पर रौशनी डाली गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मौलाना सैयद रूहे ज़फ़र रिज़वी ने नमाज़ियों को तक़वा-ए-इलाही की नसीहत करते हुए कहा कि मौला-ए-कायनात हज़रत अली अलैहिस्सलाम की वसीयत है कि इंसान अल्लाह का तक़वा अपनाए अगर इंसान तक़वा नहीं अपनाएगा, तो वह अल्लाह की नाफ़रमानी करेगा और जब नाफ़रमानी करेगा तो उसे सज़ा और अज़ाब मिलेगा। यक़ीनन इंसान की हर तरह की कामयाबी चाहे दुनिया में हो या आख़िरत में सिर्फ़ तक़वा में ही है जो तक़वा अपनाएगा, वही कामयाब होगा वरना नहीं।

मौलाना ने कहा कि हमारी उम्र और हमारा वक़्त हमारे लिए एक क़ीमती सरमाया (पूंजी) है, जिसे अल्लाह ने हमें नेमत (वरदान) के तौर पर दिया है। क़यामत के दिन इसका हिसाब लिया जाएगा कि हमने इसे कहां और कैसे खर्च किया।

इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की एक रिवायत हदीस का हवाला देते हुए मौलाना ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इंसान को जन्नत या जहन्नम बनानी है, बल्कि ये दोनों पहले से मौजूद हैं, इंसान को अपने आमाल (कर्मों) के ज़रिए इन्हें हासिल करना होता है।

उन्होंने आगे कहा कि उलमा ने बताया है कि जन्नत और जहन्नम खाली ज़मीन की तरह हैं, अब ये इंसान पर है कि वो उस पर क्या बोता है।

मौलाना ने याद दिलाया कि क़यामत के दिन इंसान अकेला होगा उसके साथ सिर्फ़ उसके आमाल (कर्म) होंगे। क़ुरआन की रौशनी में जो नेकियां की होंगी उनका भी हिसाब होगा और जो बुराइयां की होंगी उनका भी।

हज़रत रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु स.ल.व. हदीस दुनिया में जिसकी दो ज़बान होगी, आख़िरत में उसके लिए आग की दो ज़बानें होंगी" का हवाला देते हुए मौलाना ने कहा कि इंसान को दो रुख़ और दो चेहरे वाला नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह बहुत ही ख़तरनाक बात है।

जन्नतुल बक़ीअ की मज़लूमियत पर बोलते हुए मौलाना ने कहा कि बक़ी को ढाए हुए सौ साल से ज़्यादा हो गए हैं, लेकिन आज तक वहां रोज़े (मज़ार/मक़बरे) तामीर नहीं हो सके। इस सिलसिले में जो कार्यक्रम और जलसे हुए हैं, वे क़ाबिले-क़दर हैं। हमें दुनिया को लगातार यह बताते रहना चाहिए कि इस्लाम के नाम पर कैसे-कैसे ग़ैर-इस्लामी काम हुए हैं।

मौलाना ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की पहल का समर्थन करते हुए कहा कि भारत के संविधान के तहत अपने हक़ों के लिए एहतिजाज करना हमारा क़ानूनी हक़ है। बोर्ड ने क़ानून के दायरे में रहकर पुरअमन (शांतिपूर्ण) एहतिजाज की अपील की है, और जब तक विरोध क़ानूनी दायरे में होगा, हम उनके साथ हैं।

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