बुधवार 29 अक्तूबर 2025 - 08:12
उलमा, अंबिया (अ) के वारिस और राह ए हिदायत के दवाम के ज़ामिन हैं

हौज़ा / इस्फ़हान के इमाम जुमा ने कहा: अगर हम चाहते हैं कि उम्मते-मुस्लिमा का रास्ता अंबिया और आइम्मा (अ) की राह पर क़ायम रहे, तो ज़रूरी है कि समाज में ऐसे पाकीज़ा और फ़क़ीह इंसानों का प्रशिक्षण हो जो दीन-ए-इस्लाम को क़यामत तक बाक़ी रख सकें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह सय्यद यूसुफ़ तबातबाई नेज़ाद ने मदरसा-ए-इल्मिया सदर बाज़ार में आयतुल्लाह अबुलक़ासिम दहकर्दी रहमतुल्लाह अलैह की इल्मी और अमली ख़िदमात के हवाले से आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा: उलमा अंबिया (अ) के वारिस और राह-ए-हिदायत के दवाम के ज़ामिन हैं।

उन्होंने पैग़म्बर-ए-अकरम (स) की हदीस का हवाला देते हुए कहा: “मेरी उम्मत के उलमा बनी इस्राइल के अंबिया के मानिंद हैं।” रिसालत-ए-ख़ातमुन नबीयीन (स) के बाद दीन की हिदायत और तबीयीन का एह्म तरीन फ़रीज़ा उलमा पर ही है।

आयतुल्लाह तबातबाई नेज़ाद ने कहा: रसूल-ए-ख़ुदा (स) के दौर में जंगों और हालात के बाइस तमाम मआरिफ़ व अहकाम का बयान मुमकिन न था, और बहुत सी हक़ीक़तें इस लिए बयान न की गईं कि उस दौर में उन्हें समझने वाला मुख़ातिब मौजूद न था।

उन्होंने कहा: ज़ियारत-ए-जामेआ जो इमाम अली नक़ी (अ) ने बयान फ़रमाई, उसके मआनी को ज़माने-ए-इमाम हसन मुजतबा (अ) या खुद अह्द-ए-नबवी में उसी सूरत में पेश करना मुमकिन न था, जिस तरह इमाम सज़्जाद (अ) फ़रमाते हैं कि “हम बहुत से उलूम के हामिल हैं लेकिन उनके जवाहर (गूण अर्थ) बयान नहीं करते, ताकि लोग उसे शिर्क या इन्हिराफ़ न समझ बैठें।”

इस्फ़हान के इमाम जुमा ने कहा: रसूल-ए-अकरम (स) के बाद ख़ुदा ने इंसानियत को बे-राह नहीं छोड़ा, बल्कि तबीयीन-ए-दीन का मंसब आइम्मा-ए-मासूमीन (अ) के हवाले किया।

क़ुरआन-ए-करीम एक पूर्ण उपचार गृह की मानिंद है, मगर इसके मआनी तक रसाई ऐसे आलिम और रहनुमा के बिना सम्भव नहीं जो उसकी हक़ीक़तों से आशनाई रखता हो।

इसीलिए अल्लाह ने किताब के साथ “इत्रत” (पैग़म्बर का पवित्र परिवार) भी मुक़र्रर की ताकि हिदायत का सिलसिला कभी टूटने ना पाए।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha