हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,, इस्फ़हान के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद यूसुफ़ तबातबाई नेजाद ने कहा कि हमारी सच्ची ईद वह दिन होगी जब जायोनी शासन का पूरी तरह सफाया हो जाएगा। वह आज इस्फ़हान की इस्लामी काउंसिल की 179वीं बैठक में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने जायोनी सरकार की हालिया आक्रामकता और शहीदों की मुज़लिमाना शहादत पर शोक व्यक्त किया।
✦ कुरान को नैज़े पर उठाना और इमाम अली (अ.स.) की सेना की परीक्षा
उन्होंने जंग-ए-सफ़ीन का हवाला देते हुए कहा कि जब अम्र बिन आस ने कुरान को नैज़े पर उठा लिया, तो इमाम अली (अ.स.) के 4000 सिपाही धोखा खा गए और यहाँ तक धमकी दी कि अगर इमाम अली (अ.स.) ने हथियार नहीं डाले, तो वे उनके साथ वही सुलूक करेंगे जो उस्मान के साथ किया गया था। यह उम्मत की नादानी की बड़ी मिसाल है।
✦ इमामत की धीरे-धीरे पहचान:
आयतुल्लाह तबातबाई नेज़ाद ने कहा कि शिया इतिहास में इमामत की अज़मत को समझने की प्रक्रिया धीरे-धीरे हुई है। अगर इमाम हादी (अ.स.) की ज़ियारत-ए-जामिया कबीरा इमाम हसन (अ.स.) के ज़माने में बयान की जाती, तो लोग इसे क़ुबूल नहीं कर पाते।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम जवाद (अ.स.) सात साल की उम्र में इमाम बने और शियान-ए-अहल-ए-बैत ने धीरे-धीरे इस हक़ीक़त को स्वीकार किया। कुरान भी साफ़ तौर पर बताता है कि इमामत एक इलाही मंसब है, जैसे हज़रत मूसा (अ.स.) से कहा गया,मैंने तुम्हें इमामत के लिए चुना है।इसलिए, इमाम का इन्कार दरअसल ख़ुदा का इन्कार है।
✦दुश्मन के सामने झुकना ज़िल्लत है।
उन्होंने सूर-ए-माइदा की आयतों का हवाला देते हुए कहा कि दुश्मनान-ए-दीन के सामने झुकना दीनी अक़दार को छोड़ने के बराबर है। आज कुछ अरब हुक्मरान इस्लाम के दुश्मनों के साथ खड़े हैं, हालाँकि कुरान कहता है:अगर तुम उनकी वलायत क़ुबूल करो तो तुम उनमें से नहीं हो।
उन्होंने चेतावनी दी कि आर्थिक या राजनीतिक मोहताजी, दुश्मन पर इंक़िलाब के आदर्शों से ख़यानत है। हम ज़िल्लत पर शहादत को तरजीह देते हैं।
✦ ईरान की सैन्य ताक़त दुनिया के लिए संदेश है
आयतुल्लाह तबातबाई नेज़ाद ने ज़ोर देकर कहा कि इस्राइल के पास दुनिया का सबसे आधुनिक डिफ़ेंस सिस्टम है, लेकिन ईरानी मिसाइलों ने हालिया ऑपरेशन वाद-ए-सादिक़ 3" और इंतिक़ाम-ए-सख़्त" में इसे पार कर लिया और लक्ष्य पर निशाना लगाया।
उन्होंने कहा कि हाइफ़ा, जो इस्राइल का प्रमुख औद्योगिक और तेल केंद्र है, ईरानी मिसाइलों का निशाना बना यह हमले ईरान की रक्षा क्षमता और वैश्विक संदेश का सबूत हैं।
✦ शहादत का दर्द, मगर कामयाबी की निशानी:
उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे सरदारों की शहादत दर्दनाक है, लेकिन इस ऑपरेशन ने ईरान की अज़मत और सैन्य क्षमता को दुनिया के सामने साबित कर दिया।
आयतुल्लाह तबातबाई नेज़ाद ने याद दिलाया कि रहबर-ए-मोअज़्ज़म कई बार फ़रमा चुके हैं कि कुफ़्फ़ार वादे के पाबंद नहीं होते, और कुरान भी यही सिखाता है। इसीलिए ईरान ने दुनिया को यह हक़ीक़त दिखाने के लिए अमेरिका से अप्रत्यक्ष वार्ता की।
✦ इमाम रज़ा अ.स. की हिकमत-ए-ग़ैबी और मौजूदा जंग:
अंत में उन्होंने कहा कि जैसे बनी अब्बास ने ज़बरदस्ती इमाम रज़ा (अ.स.) को ईरान बुलाया, जिसके पीछे अल्लाह की हिकमत थी ताकि तशय्यु को फैलाव मिले, वैसे ही आज की यह जंग भी अमीर-उल-मोमिनीन (अ.स.) की बरकत से इस्लाम और ईरान के हक़ में ख़त्म होगी।
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