गुरुवार 23 अक्तूबर 2025 - 11:58
मरहूम नाइनी इल्म, तक़वा और मुजाहेदत के बरजस्ता नमूना थे

हौज़ा / आयतुल्लाह शेख़ जाफ़र नाइनी ने कहा: मरहूम मिर्ज़ा नाइनी वास्तव मे इल्म, अमल, तक़वा और जिहाद के मैदान मे रोल मॉडल थे जिनकी सीरत, मनिश और आसार हौज़ा-ए-इल्मिया के लिए एक बरजस्ता उदाहरण हैं।

हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, आयतुल्लाह शेख़ जाफ़र नाइनी ने आज दोपहर से पहले मदारिस-ए-इल्मिया के उलमा, अंदेशमंदों और बरजस्ता अध्यापको की मौजूदगी में मदरसा-ए-इल्मिया इमाम काज़िम (अ) क़ुम में मिर्ज़ा नाइनी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा: मैं तमाम ट्रस्टियो, और सम्मानित अधिकारियो का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने इखलास और अंथक कोशिशों से इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित करने में अहम् भूमिका निभाई। साथ ही मैं हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह आराफ़ी का भी शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने इस सम्मेलन की निगरानी में विशेष ध्यान रखा।

उन्होंने आगे कहा: उलमा, प्रोफेसरो और सम्मानित मेहमानों की क़ीमती शिरकत, जो मुख़्तलिफ़ शहरों और हौज़ा-ए-इल्मिया से इस इल्मी व माअनवी सम्मेलन में शामिल हुए, के लिए भी सच्चे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। यह मरासिम दरहक़ीक़त एक ऐसे बुलंद व्यक्ति के इल्मी, अख़लाक़ी, माअनवी और फिर जाहेदी मक़ाम की तक़दीर है जो शियो के विचार और रूहानियत की अज़ीम शख़्सियतों में से एक हैं।

आयतुल्लाह नाइनी ने यह कहते हुए कि ऐसे पूर्ण व्यक्ति के बारे में बात करना आसान नहीं है, कहा: मरहूम मिर्ज़ा मुहम्मद हुसैन नाइनी एक ऐसी शख़्सियत हैं जिनके इल्मी, फ़िक़्ही, अख़लाक़ी और इज्तिमाई पहलुओं को एक ही बैठक में बयान करना कठिन है। इस मक़सद से तैयार की गई किताब में उनकी ज़िंदगी, विचार और रचनाओ का कुछ हिस्सा एकत्रित और प्रकाशित किया गया है, और इनशा-अल्लाह भविष्य मे भी उनकी ज़िंदगी और विचारो से संबंधित इल्मी मक़ालात का मजमुआ प्रकाशिता किया जाएगा।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हौज़ा-ए-इल्मिया का बुज़ुर्गान के इल्मी मिरास की हिफाज़त और उसके जारी रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है, हौज़ा-ए-इल्मिया ख़ासकर क़ुम और नजफ़ के हौज़े, जो उम्मत-ए-इस्लामी की हिदायत के मशअल हैं, हज़रत वली-अस्र (अ) की निगाहे-करम में इल्म, अमल और तब्लीग़-ए-दीन के रास्ते में पूरी जिद्दो जहद से कदम बढ़ाएँ और उनकी वजूद की बरक़ात इस्लामी समाजो और उससे आगे तक फैले।

आयतुल्लाह नाइनी ने आखिर में कहा: मैं अल्लाह से दुआ करता हूँ कि वह सुप्रीम लीडर, मराजे-ए-आज़ाम त़क़लीद और उलमा-ए-एहतराम को लम्बी उम्र, इज़्ज़त और करामत अता फरमाए।

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