बुधवार 29 अक्तूबर 2025 - 15:57
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने इनामी राशि से 470 बे गुनाह कैदीयो की रिहाई मे भूमिका निभाई

हौज़ा / मशहूर मुफ़स्सिर-ए-क़ुरआन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहसिन कराती ने बताया कि जब उनकी तहरीर तफ़्सीरे नूर को साल की सबसे बेहतरीन किताब घोषित किया गया, तो उन्हें बहार-ए-आज़ादी के पचास सिक्के इनाम में दिए गए। उन्होंने इस रकम से पहले अपने क़र्ज़े अदा किए और फिर नेकदिल लोगों के सहयोग से 470 बेगुनाह क़ैदियों की रिहाई का इंतज़ाम किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक़, मशहूर मुफ़स्सिर-ए-क़ुरआन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहसिन कराती ने बताया कि जब उनकी तफ़्सीर तफ़्सीरे नूर को "साल की किताब" क़रार दिया गया, तो उन्हें बहार-ए-आज़ादी के पचास सिक्के बतौर इनाम मिले। उन्होंने कहा कि इस रकम से उन्होंने पहले अपने क़र्ज़े अदा किए, फिर ख़ुदा के नेक बंदों के साथ मिलकर 470 बेगुनाह क़ैदियों को आज़ाद कराने का इंतज़ाम किया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, आक़ा कराती ने इस मौक़े पर कहा: “जब तफ़्सीरे नूर लिखी गई, तो आठ लोगो ने बतौर जज इसका जायज़ा लिया और उसी साल यह तफ़्सीर ‘किताब-ए-साल’ (साल की किताब) चुनी गई। इनाम में मुझे पचास सिक्कए तमाम बहार-ए-आज़ादी मिले। मैंने इस रकम से अपने क़र्ज़े चुकाए, फिर इदारा-ए-ज़िंदान (जेल विभाग) से संपर्क किया और उन बेगुनाह क़ैदियों के बारे में बात की जो सिर्फ़ माल की तंगी की वजह से क़ैद थे। कुछ मुफ़क्किर और दानिशमंद लोग भी साथ आ गए। उन्होंने इस रकम से कई गुना ज़्यादा मदद की, और हमने मिलकर 470 क़ैदियों को रिहा करवाया।”

(स्रोत: दर महज़रे आलेमान, पृष्ठ 215)

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