۲۵ آبان ۱۴۰۳ |۱۳ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 15, 2024
कुम

हौज़ा / हौज़ा इल्मिया ईरान के प्रमुख ने कहा, आज के दौर में क़ुरआनी तालीमात से इस्तिफ़ादा लेने और उसके पैग़ाम को दूसरों तक पहुँचाने की ज़रूरत है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने दफ़्तर ए मैनेजमेंट हौज़ा इल्मिया क़ुम में आयोजित तफ़्सीर ए नफ़ीस की रौनुमाई की तक़रीब में खिताब करते हुए कहा, क़ुरआन ए करीम इल्म ए इलाही से जुड़ा मआरिफ़ ए इलाही से भरपूर और एक बहता हुआ चश्मा है।

यह एक ऐसा बेक़राँ समंदर है जिसकी गहराई तक पहुँचना मुमकिन नहीं क्योंकि यह अल्लाह के तमाम अस्मा-ओ-सिफ़ात का मज़हर है।

उन्होंने कहा,क़ुरआन और पैग़ंबर स.ल.व.तख़लीक़ ए आलम की दो अज़ीम निशानियाँ हैं और अहल ए बैत अ.स. भी इन इलाही नुस्खों के साए में हैं।

क़ुरआन ए करीम इल्म ए इलाही से जुड़ा मआरिफ़ ए इलाही से भरपूर और एक बहता हुआ चश्मा है

इसी वजह से यह किताब तमाम इलाही अस्मा का मजहर है बेहद और बेकनार है आम इंसान मुफस्सिरीन की रहनुमाई से क़ुरआन की कुछ परतों को समझ सकता है लेकिन दरअसल वही मासूमीन अ.स. हैं जो क़ुरआन के बातिन से वाक़िफ हैं।

क़ुरआन ए करीम इल्म ए इलाही से जुड़ा मआरिफ़-ए-इलाही से भरपूर और एक बहता हुआ चश्मा है।

आयतुल्लाह आराफी ने आगे कहा,हौज़ा इल्मिया क़ुम में हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमुली की तफ़्सीर तसनीम जैसी जामे तफ़सीर मौजूद है। यह किताब उनके 40 साल के दरस ए तफ़्सीर का निचोड़ है और 80 जिल्दों पर मुश्तमिल है जिसकी जल्द ही एक प्रोग्राम में रौनुमाई की जाएगी।

उन्होंने कहा,इसी तरह आयतुल्लाह मक़ारिम शीराज़ी की तफ़्सीर नमूना भी क़ाबिल ए तवज्जो है।

हौज़ा इल्मिया में दीगर क़ाबिले ज़िक्र कामों में अंतरराष्ट्रीय ज़ुबानों में क़ुरआन करीम का तर्जुमा और तफ़्सीर भी शामिल है जो हौज़ा इल्मिया में तफ़्सीर के मैदान में अच्छी तरक़्क़ी का मजहर है।

क़ुरआन ए करीम इल्म ए इलाही से जुड़ा मआरिफ़ ए इलाही से भरपूर और एक बहता हुआ चश्मा है

आयतुल्लाह आराफी ने आखिर में कहा हुज्जतुल इस्लाम तबातबाई ने सवाल-ओ-जवाब के ज़रिये मतालिब को समझाने का तरीका अपनाया है जो इल्मी लिहास से एक मौस्सिर तरीका है।

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