हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मजलिस-ए ख़ुबरगान-ए रहबरी के सदस्य हज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सईद सलह मीरज़ाई ने केंद्र-ए फ़िक़ही साहिबुल अम्र (अज) क़ुम में आयोजित बैठक "हौज़ा पेशरो व सर-आमद" में बोलते हुए कहा, कुछ लोगों द्वारा हौज़ा प्रबंधन के प्रदर्शन पर अविश्वसनीय आलोचना की जाती है, जबकि आयतुल्लाह आराफी और हौज़ा प्रबंधन ने हौज़ा के भीतर सांस्कृतिक और बौद्धिक परिवर्तन के लिए कई दस्तावेज़ और व्यावहारिक दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
आवश्यकता इस बात की है कि हौज़ा की वास्तविक प्रगति को सही और स्पष्ट तरीके से जनता के सामने पेश किया जाए।
उन्होंने कहा,महान इस्लामी क्रांति के नेता ने बार-बार इस ख़तरे की ओर ध्यान दिलाया है कि यदि हौज़ा दैनिक दिनचर्या में उलझकर वैश्विक, सामाजिक और वैज्ञानिक परिवर्तनों के मुकाबले में पिछड़ गया, तो यह हौज़े के मूल सांस्कृतिक लक्ष्य के लिए हानिकारक होगा। यह चेतावनी केवल कुछ व्यक्तियों के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण हौज़ा संस्थानों और प्रणाली के लिए है ताकि वर्तमान समय की धार्मिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं का जवाब दिया जा सके।
मजलिस-ए ख़ुबरगान-ए रहबरी के सदस्य ने कहा: सुझाव यह है कि हौज़ा ए इल्मिया को केवल एक "शैक्षणिक केंद्र" के रूप में नहीं, बल्कि "इस्लाम और शिया की सेवा के केंद्र" के रूप में पेश किया जाए। ऐसा केंद्र जो सामाजिक व्यवस्थाओं के गठन और सांस्कृतिक चुनौतियों के मुकाबले में पूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाए।
उन्होंने आगे कहा,महान इस्लामी क्रांति के नेता के निकट हौज़ा, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक जिहाद का केंद्र है और यही धारणा हौज़े के सांस्कृतिक भूमिका और उसके भविष्य के क्षितिज को भी स्पष्ट करती है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सलह मीरज़ाई ने कहा, आयतुल्लाह आराफी और हौज़ा प्रबंधन ने हौज़ा एल्मिया में सकारात्मक परिवर्तन और प्रगति के लिए विभिन्न दस्तावेज़ और व्यावहारिक परियोजनाएं तैयार की हैं और उनकी सही सूचना के माध्यम से हौज़ा की प्रगति के वास्तविक चेहरे को सामने लाया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात की ओर भी संकेत किया कि महान इस्लामी क्रांति के नेता के कथन के अनुसार वर्तमान हौज़ा एक सफल हौज़ा है, हालांकि भविष्य में इस हौज़े को और अधिक उन्नत और उत्कृष्ट होना चाहिए। इस आधार पर हौज़ा ए इल्मिया के लिए "परिवर्तनकारी सोच" यानी सकारात्मक परिवर्तन का मतलब मौजूदा उपलब्धियों का इनकार नहीं बल्कि उनके पूरक विकास की मांग है।
आपकी टिप्पणी