सोमवार 17 नवंबर 2025 - 12:02
सभी इस्लामी स्रोत हज़रत फातेमा ज़हेरा स.अ. के उच्च दर्जे और हैसियत पर एकमत हैं

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद तकी रहबर ने कहा,मुस्लिम महिलाओं को चाहिए कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में मकतब ए फातेमी से सबक लें हज़रत फातेमा ज़हरा स.अ. ईमान, पवित्रता, ज्ञान और संघर्ष का सही नमूना हैं और मुस्लिम महिलाओं के लिए हर क्षेत्र में सबसे अच्छा आदर्श हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हौज़ा न्युज़ के प्रतिनिधि से इस्फ़हान में बातचीत करते हुए इस्लामिक सलाहकार परिषद के प्रतिनिधि हुजतुल इस्लाम वलमुस्लिमीन मोहम्मद तकी रहबर ने हज़रत फातेमा ज़हरा स.अ.के उच्च दर्जे की ओर इशारा करते हुए कहा,सभी इस्लामी स्रोत, चाहे शिया हों या अहले सुन्नत, इस महान हस्ती के दर्जे और हैसियत पर एकमत हैं। प्रामाणिक अहले सुन्नत स्रोतों जैसे सहीह बुखारी और सहीह मुस्लिम में फज़ाइल-ए-फातेमा के शीर्षक से अलग अध्याय मौजूद हैं जो हज़रत ज़हरा (स.अ.) के उच्च दर्जे का सबूत हैं।

उन्होंने कहा, हज़रत फातेमा ज़हेरा स.अ. का दर्जा इतना ऊंचा है कि पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) ने फरमाया,
إنما فاطمه بضعة منی یؤذینی ما آذاها
यानी फातिमा मेरा एक टुकड़ा हैं, जो उन्हें तकलीफ देता है वह मुझे तकलीफ देता है। एक और रिवायत में है,फातिमतु ज़हरा सैय्यदतु निसाइ अहलिल जन्नह" यानी फातिमा जन्नत की औरतों की सरदार हैं। सहीह बुखारी के पांचवें खंड में हज़रत ज़हरा (स.अ.) की नमाज़ों के बाद और सहर (सुबह) के समय की दुआएं और मुनाजात भी दर्ज हैं जिन्हें बाद में एक अलग किताब के रूप में छापा गया है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद तकी रहबर ने कहां,हज़रत ज़हेरा (स.अ.) की शख्सियत के वैश्विक प्रभाव की ओर इशारा करते हुए कहा, सऊदी अरब के एक बुद्धिजीवी डॉक्टर अब्दुह यमानी ने "इन्नहा फातिमतुज़ ज़हरा" नाम से किताब लिखी है जिसका फारसी अनुवाद उन्होंने खुद "फातिमतुज़ ज़हेरा" नाम से प्रकाशित किया।

उन्होंने इस किताब के दो चुने हुए वाक्यों का जिक्र करते हुए कहा, फातेमा का इतिहास बयान करना असल में इस्लामी उम्मत के बुनियादी इतिहास को पेश करना है; शुरुआत की पीड़ा और मुसीबतें, रिसालत के शुरुआती दौर की जद्दोजहद, कुरैश के ज़ुल्म के दौर में पैगंबर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) के साथ डटे रहना, बाप के साथ हर कदम पर खड़ी वह बाअ़िज़्ज़त, बहादुर, आज्ञाकारी, अमानतदार और अदब वाली बेटी, जो मुस्तफा (स.अ.व.) की झलक थी और मदरसा-ए-नबूवत में तरबियत पाकर ऊंचे अखलाकी फज़ाइल के साथ फरिश्तों के हमदर्जा बन गई। इस्लामी उम्मत खासकर महिलाएं इस महान खातून-ए-इस्लाम से सबक लेती हैं।

इस्लामिक सलाहकार परिषद के प्रतिनिधि ने कहा,इस्लामी उम्मत खासकर मुस्लिम महिलाएं और बेटियां अपने जीवन के हर पहलू में हज़रत फातेमा ज़हरा (स.अ.) से सीख लें।

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