मंगलवार 18 नवंबर 2025 - 14:21
हज़रत फातेमा ज़हेरा स.ल.आलमे इस्लाम में औरतों के लिए नमूने अमल है

हौज़ा / हिंदुस्तान के मशहूर शहर लखनऊ में तब्लीग के फ़रायज़ अंजाम दे रहे मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार की अय्यामे फातेमीया के मौके पर खुसूसी इंटरव्यू लिया गया इस मौके पर उन्होंने फज़ायल हज़रत ज़हेरा बयान करते हुए कई पहलुओं पर रौशनी डाली।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हिंदुस्तान के मशहूर शहर लखनऊ में तब्लीग के फ़रायज़ अंजाम दे रहे मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी से हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के पत्रकार की अय्यामे फातेमीया के मौके पर खुसूसी इंटरव्यू लिया गया इस मौके पर उन्होंने फज़ायल हज़रत ज़हेरा बयान करते हुए कई पहलुओं पर रौशनी डाली।

हौज़ा न्यूज़ : हज़रत फ़ातेमा स.अ.को उम्मे अबीहा (अपने पिता की माँ) क्यों कहा जाता है?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी :हज़रत फ़ातेमा स.अ.ने अपने पिता पैग़म्बर ए इस्लाम (स.अ.व.व.) की इतनी सेवा और देखभाल की, मानो वह उनकी माँ हों यह उपाधि उनकी महान मुहब्बत और फ़िक्र को दर्शाती है।

हदीस में हैं
"فَاطِمَةُ أُمُّ أَبِيهَا"
बिहारुल अनवार, जिल्द 43, सफ़हा 450
यह हदीस दर्शाती है कि बेटी किस तरह पिता की सेवा करके उसकी 'माँ' बन सकती है।

हौज़ा न्यूज़ : घरेलू ज़िंदगी में हज़रत फ़ातिमा स.अ. किस तरह आदर्श थीं?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी :आप घर के सारे काम ख़ुद करती थीं, चाहे वह चक्की पीसना हो या बच्चों की तरबीयत हो हदीस में आया हैं
كَانَتْ فَاطِمَةُ تَطْحَنُ بِالرَّحَى حَتَّى تَثَّرَ فِي يَدَيْهَا
उसूले काफी, जिल्द 3, सफ़हा 241
इस हदीस से पता चलता है कि घर का काम करना शर्म की बात नहीं, बल्कि इबादत है।

हौज़ा न्यूज़ : हक़ की आवाज़ उठाने में हज़रत फ़ातिमा स.अ. की क्या भूमिका थी?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी : फ़दक के मसले पर आपने ऐसी तकरीर की, जो इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई।

वह हदीस यह,
"مَنْ ظَلَمَنِي حَقِّي فَإِنَّ اللَّهَ ظَالِمُهُ"
एल्लसुश शरई, जिल्द 1, सफ़हा 185 में है
इस हदीस से पता चलता है कि औरत को अपने हक़ के लिए आवाज़ उठानी चाहिए।

हज़रत फ़ातिमा स.अ. की इबादत के बारे में क्या बयान करते हैं?

हौज़ा न्यूज़ : आप इतनी इबादत करती थीं कि आपके पैर सूज जाते थे।

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी : हदीस में हैं
"كَانَتْ قَدَمَاهَا مُتَوَرِّمَتَانِ مِنَ الْقِيَامِ"
आप सारी रात इबादत करती थी और पैर सूज जाता था
बिहारुल अनवार, जिल्द 43, सफ़हा 89 इस हदीस से सीख मिलती है कि इबादत में मेहनत और तकलीफ़ उठानी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ : हज़रत फ़ातिमा स.अ.की सादगी किस कदर थी?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी :आप बेहद सादा ज़िंदगी गुज़ारती थीं, चाहे आप अपने बाबा के घर हो या शौहर के घर हो सदा जिंदगी बस्र करती थी

हदीस में हैं,
مَا كَانَ لَهَا وِسَادَةٌ إِلَّا مِنْ جِلْدِ الْكَبْشِ
अल-काफी, जिल्द 3, सफ़हा 243
इस हदीस से पता चलता है कि दुनिया की चमक-दमक से दूर रहना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ : हज़रत फ़ातिमा स.अ. की शोहरत और पाक दामनी क्या थी?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी :आप इतनी पाक दामन थीं कि आयत ए तत्हीर आप पर नाज़िल हुई।

"إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ لِيُذْهِبَ عَنْكُمُ الرِّجْسَ أَهْلَ الْبَيْتِ"
तफ़सील: तफ़सीर अल-बुरहान, जिल्द 4, सफ़हा 372
यह आयात आपकी पाक दामनी को साबित करती है।

हौज़ा न्यूज़ : आज की औरतें हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) से क्या सीख ले सकती हैं?

मौलाना जावेद हैदर ज़ैदी :आपकी ज़िंदगी का हर पहलू बेटी, बीवी, माँ, और समाजिक शख्सियत हर औरत के लिए नमूना है।
"فِيهَا أُسْوَةٌ لِلنِّسَاءِ"
इस हदीस से साफ़ है कि हज़रत फ़ातिमा (स.अ.) हर औरत के लिए आदर्श हैं।

हौज़ा न्यूज़ : आपका बहुत-बहुत शुक्रिया आपने अपना कीमती वक्त दिया

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