हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,शहीदों का नाम ज़िंदगी और अमर होने की मांग करता है। यानी ख़ुदा की राह में क़ुर्बानी की ख़ासियत और पहचान यह है कि शहीद का नाम दुनिया में हमेशा अमर रहता है।
तो जो झाग है वह तो बेकार चला जाता है और जो चीज़ (पानी और धात) लोगों को फ़ायदा पहुंचाती है, वह धरती में बाक़ी रह जाती है। सूरए रअद, आयत 17) शहादत और अल्लाह की राह में क़ुर्बानी की विशेषता यह है कि शहीद स्वाभाविक रूप से अमर हो जाता है।
आप इतिहास पर नज़र डालें, पैग़म्बर, अल्लाह के प्यारे बंदे और अन्य अहम हस्तियां थीं, जिन पर बातिल, हावी हो गया क्योंकि हक़ के मोर्चे वालों ने वह काम नहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था।
इसका मतलब यह है कि शहीद स्वाभाविक रूप से अमर हैं और उन में अमर होने का माद्दा पाया जाता है लेकिन हमारी भी कुछ ज़िम्मेदारी है, हमें शहीदों का नाम ज़िंदा रखना चाहिए।
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