۸ مهر ۱۴۰۳ |۲۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 29, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / शहीदों को अन्य मुजाहिदीनों की ख़ुशी की कामना करते हुए कि वे ईश्वर की राह में मारे गए लोगों का स्थान प्राप्त करें। बरज़ख की दुनिया में सभी शहीद एक साथ रहें

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

فَرِحِينَ بِمَا آتَاهُمُ اللَّهُ مِن فَضْلِهِ وَيَسْتَبْشِرُونَ بِالَّذِينَ لَمْ يَلْحَقُوا بِهِم مِّنْ خَلْفِهِمْ أَلَّا خَوْفٌ عَلَيْهِمْ وَلَا هُمْ يَحْزَنُونَ  फ़रेहीना बेमा आताहोमुल्लाहो मिन फ़ज़्लेहि व यसतबशेरूना बिल लज़ीना लम यलहक़ू बेहिम मिन ख़लफ़ेहिम अल्ला ख़ौफ़ुन अलैहिम वला हुम यहज़नून  (आले-इमरान, 170)

अनुवाद: अल्लाह ने उन्हें अपनी कृपा और दया से जो कुछ दिया है, उससे वे खुश हैं, और वे अपने पिछड़े हुए लोगों से भी खुश और संतुष्ट हैं जो अभी तक उन तक नहीं पहुंचे हैं, कि उन्हें कोई डर नहीं है और यह दुखद और उबाऊ नहीं है।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣जो लोग ईश्वर की राह में मारे गए, उन्हें ईश्वर की उस कृपा और दया के लिए खुश और खुश होना चाहिए जो सर्वशक्तिमान ईश्वर ने उन्हें दी है।
2️⃣ शहीदों का उच्च स्थान, उनका विशेष जीवन और ईश्वर से जीविका प्राप्त करना उन पर ईश्वर के आशीर्वाद में से एक है।
3️⃣ सांसारिक जीवन की तुलना में बरज़ख की दुनिया में शहीदों का बेहतर और श्रेष्ठ जीवन
4️⃣ दूसरे मुजाहिदीनों की ख़ुशी की कामना करना और उनके लिए ईश्वर की राह में मारे गए लोगों का स्थान प्राप्त करना।
5️⃣ बरज़ख की दुनिया में सभी शहीद एक साथ रहते हैं
6️⃣ बरज़ख की दुनिया में शहीद, खुदा की राह में अपने और गैर मुजाहिदीन के ठिकानों के गवाह।
7. ईश्वर की राह में शहीद होने वाले शहीदों को पूर्ण सुख-शान्ति मिलनी चाहिए।
8️⃣ कुछ लोगों के लिए मरने के बाद दुनिया का ठिकाना बरज़ख़ है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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