गुरुवार 5 अगस्त 2021 - 15:00
पाकिस्तान की यह ज़मीन कितनी बंजर थी कि शहीद आरिफ हुसैन के बाद अब तक एक पौधा ना लगा सकी सिंचाई के लिए, सैय्यदा नुसरत नक़वी

हौज़ा/ शहीद के मानने वालों को चाहिए कि वह शहीद की शख्सियत को रोशन फिक्र को सारी दुनिया तक पहुंचाएं,और उनके पदचिन्हों पर चलकर पाकिस्तान में वंचित और उत्पीड़ित वर्गों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इमामबारगाह कतीलुल अबरात कराची की देखभाल करने वाली सैय्यदा नुसरत नक़वी ने शहीद आरिफ हुसैन हुसैनी की शहादत पर अपने बयान में कहा कि 5 अगस्त पाकिस्तानी कौम के लिए तारीख का एक सबसे काला दिन है।शहीद आरिफ हुसैन अल-हुसैनी की शहादत के मामले में शिया जगत को बड़ा झटका लगा था
शहीद आरिफ हुसैन अलहुसैनी पाकिस्तान में अंतर-मुस्लिम एकता को व्यावहारिक रूप से बढ़ावा देने के संघर्ष में लगे हुए थे, इसलिए साम्राज्यवाद के दुश्मनों ने उन्हें निशाना बनाया।
उन्होंने कहा:शहीद के मानने वालों को चाहिए कि वह शहीद की शख्सियत को रोशन फिक्र को सारी दुनिया तक पहुंचाएं,और उनके पदचिन्हों पर चलकर पाकिस्तान में वंचित और उत्पीड़ित वर्गों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास करें।
हमें पाकिस्तान में अंतरमुस्लिम एकता को बढ़ावा देने और शहीदों के खून को बर्बाद होने से बचाना है,
आज विश्व में इस्लामी क्रांति की सफलता का कारण अंतर-मुस्लिम एकता है।
आपसी दुश्मनी को दूर करके हमको एक मंच पर एक साथ काम करने की ज़रूरत है।"
शिया सुन्नी दोनों मिलकर एक मिशन को आगे बढ़ाएं और शहीद का नाम रोशन करें,
अल्लाह तआला शहीद आरिफ हुसैन अलहुसैनी के बौद्धिक प्रयासों को जीवित रखते हुए उनके अनन्त जीवन के लिए कुछ करने में हमारी मदद करें।

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