बुधवार 3 दिसंबर 2025 - 22:29
वह निरंकुशता जिसे पश्चिम के पूंजीवादी कलचर ने फ़रेब देकर आज़ादी बताया है ग़ुलामी है

हौज़ा / सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने बुधवार 3 दिसम्बर 2025 की सुबह हज़ारों की तादाद में महिलाओं और लड़कियों से मुलाक़ात में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शख़्सियत के मुख़्तलिफ़ पहलुओं पर रौशनी डाली।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, सुप्रीम लीडर ने हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा को सभी मैदानों में बेहतरीन ख़ूबियों से सुसज्जित ऐसी हस्ती बताया जिसका संबंध स्वर्ग से है। उन्होंने घर और समाज के स्तर पर महिलाओं के अधिकारों और प्रतिष्ठा के संबंध में इस्लाम के नज़रिये को बयान करते हुए, मुख़्तलिफ़ मैदानों में महिलाओं और बीवियों से मर्दों के व्यवहार के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का जायज़ा लिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने लोक-परलोक की इस हस्ती हज़रत ज़हरा की असीमित महानताओं के उल्लेख में, उनकी इबादत, अल्लाह के सामने उनकी विनम्रमता, लोगों के लिए बलिदान और उदारता, मुश्किलों और मुसीबतों को बर्दाश्त करने, मज़लूम के अधिकारों की बहादुरी से रक्षा करने, सत्य को ज़ाहिर और स्पष्ट करने, राजनैतिक समझ और व्यवहार, घरदारी, दांपत्य जीवन और बच्चों की तरबियत, इस्लाम के आग़ाज़ के अहम वाक़यों में मौजूद रहने सहित अनेक पहलुओं की ओर इशारा किया।

उन्होंने कहा, "अलहम्दुलिल्लाह ईरानी महिलाएं ऐसे सूरज को जो पैग़म्बरे इस्लाम के मुताबिक़, पूरे इतिहास के सभी दौर की महिलाओं की सरदार हैं, अपना आदर्श समझती और उनसे सबक़ लेकर उनके लक्ष्यों की ओर बढ़ती हैं।"

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस्लाम में महिलाओं की बहुत ऊंची शान का ज़िक्र किया और कहा, "महिला की पहचान और शख़्सियत के बारे में क़ुरआन के अर्थ सबसे ऊंचे और सबसे प्रगतिशील अर्थ हैं।"

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने, ज़िंदगी और मानव इतिहास में महिला और पुरूष के रोल और दोनों के सबसे ऊंचे दर्जे और आध्यात्मिक ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता के बारे में क़ुरआन मजीद की आयतों की ओर इशारा करते हुए कहा, ये सभी बिंदु उन लोगों की ग़लत समझ के विपरीत हैं जिनके पास धर्म तो है लेकिन उन्हें धर्म की पहचान नहीं हैं या वे लोग हैं जो धर्म की बुनियाद को नहीं मानते।

उन्होंने समाज में महिला अधिकारों के संबंध में क़ुरआन के तर्क को बयान करते हुए बल दिया, "इस्लाम में सामाजिक सरगर्मियों, काम, राजनैतिक गतिविधियों, ऊंचे से ऊंचे सरकारी ओहदों को हासिल करने और दूसरे क्षेत्रों में, मर्द के बराबर औरतों के अधिकार हैं और आध्यात्मकि डगर पर चलने और व्यक्तिगत व सार्वजनिक स्तर पर कोशिश करने में, सभी मैदानों में तरक़्क़ी करने के लिए उनके वास्ते रास्ते खुले हैं।"

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि पश्चिम का पतनशील कलचर, इस्लाम की नज़र से पूरी तरह रद्द कर देने के क़ाबिल है, कहा कि इस्लाम में महिलाओं की शान की रक्षा और इंतेहाई सरकश और ख़तरनाक यौन इच्छा को कंट्रोल करने के लिए औरत और मर्द के संबंध, औरत और मर्द के पहनावे, औरत के हेजाब और शादी के लिए प्रेरित करने के संबंध में कुछ सीमाएं और हुक्म पाए जाते हैं जो पूरी तरह महिला के स्वभाव और समाज के हितों और ज़रूरतों के मुताबिक़ हैं जबकि पश्चिमी कलचर में निरंकुश व विध्वंसक सेक्शुआलिटी को कंट्रोल करने पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। उन्होंने औरत और मर्द में बहुत सारी समानताओं और जिस्म और स्वभाव की वजह से पाए जाने वाले कुछ फ़र्क़ों पर आधारित तत्वों को संतुलित तत्व बताया और कहा कि एक दूसरे के पूरक ये तत्व, मानव समाज को चलाने, इंसान की नस्ल को जारी रखने, सभ्यता की तरक़्क़ी, समाज की ज़रूरतों को पूरा करने और ज़िंदगी जारी रखने में अहम रोल अदा करते हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस निर्णायक रोल को व्यवहारिक बनाने के लिए, फ़ैमिली के गठन को सबसे अहम काम बताया और कहा कि पश्चिम के ग़लत कलचर में फ़ैमिली की इकाई को भुला दिए जाने के विपरीत, इस्लाम में फ़ैमिली को गठित करने वाले तत्व की हैसियत से औरत, मर्द और बच्चों को निर्धारित और एक दूसरे के प्रति परस्पर अधिकार दिए गए हैं।

उन्होंने अपनी स्पीच के दूसरे भाग में सामाजिक और पारिवारिक रवैये में इंसाफ़ को औरतों का सबसे पहला अधिकार बताया और इस अधिकार को व्यवहारिक बनाने के सिलसिले में सरकार और समाज के सभी लोगों की ज़िम्मेदारी पर बल देते हुए कहा कि सलामती, इज़्ज़त और वेक़ार की रक्षा भी महिला के मूल अधिकारों में से है और पश्चिम की पूंजीवादी व्यवस्था के विपरीत, जो औरत के सम्मान को कुचलती है, इस्लाम महिला के सम्मान पर ख़ास बल देता है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने क़ुरआन मजीद की ओर से हज़रत मरयम और हज़रत आसिया जैसी दो मोमिन महिलाओं की मिसाल दिए जाने को सभी मोमिन मर्दों और औरतों के लिए आदर्श और महिलाओं की सोच और व्यवहार की अहमियत को प्रतिबिंबित करने वाला बताया और कहा कि एक ही काम के लिए औरतों और मर्दों की समान तनख़्वाह, महिला मुलाज़िम या घर की सरपरस्त औरतों के बीमे, महिलाओं के लिए विशेष छुट्टियों और दसियों दूसरे मसलों जैसे सामाजिक अधिकारों को बिना किसी पक्षपात के व्यवहारिक बनाया जाना चाहिए और उनकी रक्षा की जानी चाहिए।

उन्होंने शौहर की मोहब्बत को घर में महिला का सबसे अहम अधिकार और ज़रूरत बताते हुए कहा कि घर में औरत का एक दूसरा बहुत अहम और बड़ा अधिकार, उसके ख़िलाफ़ किसी भी तरह की हिंसा का न होना और पश्चिम में प्रचलित गुमराहियों से पूरी तरह दूर रहना है जहाँ मर्दों और शौहरों के हाथों औरतों को क़त्ल कर दिया जाता है या उन्हें मारा पीटा जाता है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने औरत के संबंध में पूंजीवादी और इस्लाम के नज़रिए की तुलना करते हुए कहा कि इस्लाम में औरत को आज़ादी, सलाहित को निखारने और तरक़्क़ी करने का मौक़ा हासिल है जबकि पूंजीवाद की नज़र में औरत और मर्द की पहचान को उलझा दिया गया और महिला के सम्मान और उसकी इज़्ज़त को कुचल दिया गया है। पूंजीवादी व्यवस्था औरत को मनोरंजन, तफ़रीह और यौनेच्छा पूरी करने का एक साधन समझती है और अपराधी गैंग, जिन्होंने हाल ही में अमरीका में बहुत हंगामा मचाया है, इसी सोच का नतीजा है। उन्होंने फ़ैमिली के बिखरने और पारिवारिक रिश्तों में कमी जैसे मुद्दों, कम उम्र लड़कियों का शिकार करने वाले गैंग्स और आज़ादी के नाम पर नाजायज़ संबंध और बेलगाम यौनेच्छा के चलन को पिछली एक दो सदियों में पूंजीवादी कलचर के बड़े गुनाहों में गिनवाया और कहा कि पश्चिमी पूंजीवादी व्यवस्था बड़ी मक्कारी से इन कुकर्मों को आज़ादी का नाम देती है और इन चीज़ों को हमारे मुल्क में प्रचलित करने के लिए भी इसी नाम का इस्तेमाल करती है जबकि यह आज़ादी नहीं बल्कि ग़ुलामी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने, पश्चिम के अपने ग़लत कलचर को दूसरे मुल्कों में निर्यात करने के आग्रह की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनका दावा है कि औरत के लिए हेजाब सहित कुछ निर्धारित सीमाएं, उसकी तरक़्क़ी की राह में रुकावट बनेंगी लेकिन इस्लामी गणराज्य ने इस तर्क़ के ग़लत होने को साबित कर दिया और दिखा दिया कि मुसलमान और इस्लामी हेजाब की पाबंद औरत सभी मैदानों में दूसरों से ज़्यादा क़दम बढ़ा सकती और रोल अदा कर सकती है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने साइंस, खेल, रिसर्च, समाज, स्वास्थ्य, मेडिकल, लाइफ़ इक्सपेक्टेंसी के क्षेत्र में तरक़्क़ी, जेहादी सपोर्ट और क़ाबिले फ़ख़्र शहीदों की बीवियों की ओर से बुनियादी सपोर्ट को ईरान के पूरे इतिहास में महिलाओं की अभूतपूर्व उपलब्धियां बताया और कहा, ईरान पूरे इतिहास में, इतनी महिला वैज्ञानिकों, विचारकों और विद्वानों की तादाद का एक फ़ीसदी भी हासिल नहीं कर सका था जितना इस वक़्त है और यह इस्लामी गणराज्य की देन है जिसने सभी मैदानों में महिलाओं की तरक़्क़ी और विकास का मार्ग समतल किया।

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