हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,पिछले कई दशकों के दौरान पश्चिम में औरतों की आज़ादी के नाम पर अख़्लाक़ी गिरावट और अश्लीलता इतनी फैल गई कि उसने ख़ुद पश्चिमी विचारकों को बुरी तरह डरा दिया
आज पश्चिमी देशों में हमदर्द, भलाई चाहने वाले, बुद्धिमान और नेक इरादे वाले लोग, जो कुछ हुआ है, उससे दुखी व ख़ौफ़ज़दा हैं मगर वो इसे रोक भी नहीं सकते।
पश्चिम में औरत की मदद और उसकी ख़िदमत के नाम पर उसकी ज़िदगी को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। क्यों? इस लिए कि सेक्शुअल करप्शन, नैतिक पतन और मर्द और औरत के बीच बेलगाम मेल-जोल की वजह से परिवार की नींव ही ढह गई।
वो मर्द जो समाज में अपनी यौन इच्छाओं को खुल्लम खुल्ला पूरा कर सकता हो और वो महिला जो समाज में बे रोकटोक अलग अलग पुरुषों से संबंध रख सकती हो, किसी भी तरह अच्छे पति-पत्नी नहीं हो सकते।
इसलिए परिवार की बिसात ही लिपट गई। हमारे देशों में घरानों की जड़ें जितनी मज़बूत और गहरी हैं, उतनी आज पश्चिम में कम ही हैं।
इमाम ख़ामेनेई,