हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सऊदी सुप्रीम उलेमा काउंसिल ने तालिबान द्वारा अफगान महिला छात्रों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के संबंध में एक बयान जारी किया हैं जिसमें बयान को वापस लेने का आग्रह कि हैं।
गौरतलब है कि यह बयान ऐसे समय में सामने आया है जब आले सऊद ने वहाबियत पर आधारित महिलाओं के खिलाफ सख्त कानून लागू किए हैं और सऊदी अरब में महिलाओं को उनके कई बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया हैं।
सऊदी उलेमा ने अफगानिस्तान की सरकार से अफगान महिलाओं को शैक्षिक संस्थानों में शिक्षा का अधिकार प्रदान करने और महिलाओं को शिक्षा से वंचित करने के अपने फैसले को वापस लेने का आह्वान किया हैं।
सऊदी उलेमा काउंसिल ने कहा कि इस्लामी शरीयत में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति नहीं हैं यह कहते हुए कि इस्लाम अपनी मजबूत शरीयत और सही कानून के साथ पुरुषों और महिलाओं के मानवाधिकारों की रक्षा करता है और अपने कर्तव्यों को परिभाषित करता हैं।
उलेमा काउंसिल ने कहा इस्लामी नियमों और कानूनों ने महिलाओं की गरिमा और सम्मान की रक्षा की है और महिलाओं ने सीखने के माध्यम से पूरे इतिहास में मुस्लिम समाज के आंदोलन और समृद्धि में योगदान दिया हैं।
सऊदी विद्वानों ने कहा, इस्लाम ने महिलाओं के लिए जो पहला अधिकार सुरक्षित रखा है, वह शिक्षा का अधिकार है, और शरियत ने भी महिलाओं की शिक्षा पर ज़ोर दिया हैं।
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