हौज़ा न्यूज़ एजेंसी I इस्लामी शरियत में इबादत के कामों, खासकर नमाज़ के बारे में हुक्म बहुत बारीकी और सावधानी से तय किए गए हैं, ताकि यह इबादत का काम न सिर्फ़ बाहर से सही हो, बल्कि इसका रूहानी असर भी बना रहे। इन उसूलों में से एक है नमाज़ की सही होने की शर्तों और रुकावटों का मुद्दा, जिसमें नमाज़ के दौरान पुरुषों के लिए जाइज़ या ना जाइज़ श्रंगार शामिल हैं।
चर्चा में चल रहा सवाल इसी तरह के एक खास मुद्दे से जुड़ा है: अगर किसी पुरुष के दांतों पर सोने की परत चढ़ी है, तो क्या उसके साथ नमाज़ पढ़ना जायज़ है? इस इस्तिफ़्ता की अहमियत सिर्फ़ एक निजी सवाल का जवाब देने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रैक्टिकल और बहुत कम चर्चा किए जाने वाले कानूनी मुद्दे को भी समझाता है जो कई मानने वालों के लिए गाइडेंस का ज़रिया बन सकता है।
इस बारे में, आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली हुसैनी सिस्तानी (दामा ज़िल्लोहुल आली) ने एक सवाल का जवाब दिया है, जिसे दिलचस्पी रखने वालो के सामने पेश किया जा रहा है।
सवाल: मैं एक आदमी हूँ और मेरे दांतों पर सोने की परत चढ़ी हैं। क्या उनके साथ नमाज़ पढ़ने में कोई शरई मुशकिल है?
जवाब: नमाज़ सही है, लेकिन अगर सोने के दांत दिख रहे हैं, तो यह धार्मिक रूप से एक पुरूष के लिए सही नहीं है।
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