बुधवार 17 दिसंबर 2025 - 09:55
खाने में इसराफ़ की हदें

हौज़ा / अल्लाह के रसूल (स) ने एक रिवायत में रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इसराफ़ के एक छिपे हुए रूप के बारे में बताया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित रिवायत  “नहजु फ़साहा” किताब से ली गई है: इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

قال رسول اللہ صلی الله علیه وآله:

إِنَّ مِنَ السَّرَفِ أَنْ تَأْكُلَ كُلَّ مَا اشْتَهَيْتَ

अल्लाह के रसूल (स) ने फ़रमाया:

निसंदेह इसराफ़ मे से एक यह भी है कि इंसान का जब जो भी दिल चाहे वही खाता फिरे।

नहजुल फ़साहा, पेज 332

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha