हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, यह रिवायत “कामिल उज़-ज़ियारात” किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق علیهالسلام:
مَن أنفَقَ دِرهَمًا فی سَبیلِ اللّٰهِ وَلِزِیارَةِ قَبرِ الحُسَینِ (علیهالسلام)، کَتَبَ اللّٰهُ لَهُ بِکُلِّ دِرهَمٍ مِائةَ حَسَنَةٍ، وَحُطَّت عَنهُ مِائةُ سَیِّئَةٍ، وَرُفِعَ لَهُ بِکُلِّ دِرهَمٍ دَرَجَةً فی الجَنَّةِ.
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक (अ) ने फ़रमाया:
जो कोई भी अल्लाह की राह में और इमाम हुसैन (अ) की क़ब्र की ज़ियारत के लिए एक दिरहम खर्च करता है, अल्लाह तआला उसके लिए सौ नेकियाँ दर्ज करेगा, उसके सौ गुनाह मिटा देगा और हर दिरहम के बदले उसे जन्नत में एक दर्जा देगा।
कामिल उज़-ज़ियारात, पेज 112
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