बुधवार 31 दिसंबर 2025 - 12:35
मौजूदा दौर की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी दीन की हदों की हिफ़ाज़त है।आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी

हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी ने आज के दौर में इस्लामी समाज की बुनियादी ज़िम्मेदारी की तरफ़ ध्यान दिलाते हुए कहा कि आज सबसे अहम फ़र्ज़ दीन की सरहदों और उसके दायरे की हिफ़ाज़त करना है, क्योंकि फ़ितनों और अक़ीदों से जुड़े शक-शुब्हात बहुत ज़्यादा बढ़ गए हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आयतुल्लाहिल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी ने अपने एक ख़िताब में इस्लामी समाज की मौजूदा हालत का जायज़ा लेते हुए फ़रमाया कि हमें यह हक़ीक़त समझनी चाहिए कि आज हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी दीन के दायरे की हिफ़ाज़त है।

उन्होंने आगाह किया कि इस दौर में फ़ितनों की बहुतायत है और दीन के अक़ीदों व उसूलों के ख़िलाफ़ शक-शुब्हात और शैतानी वसवसे बड़े पैमाने पर फैलाए जा रहे हैं, जो ईमान और सोच के लिए एक गंभीर ख़तरा हैं।

आयतुल्लाहिल वहीद ख़ुरासानी ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे हालात में हर शख़्स पर एक भारी और मुश्किल ज़िम्मेदारी आती है कि वह अपने अक़ीदे की हिफ़ाज़त करे, दीन की बुनियादों को समझे और गुमराही फैलाने वाली बातों से होशियार रहे।

उन्होंने साफ़ कहा कि दीन की सरहदों की हिफ़ाज़त सिर्फ़ उलेमा की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के हर फ़र्द की साझा ज़िम्मेदारी है, क्योंकि अगर अक़ीदे कमज़ोर हो जाएँ तो पूरा समाज फ़िक्री बिखराव का शिकार हो जाता है।

माख़ज़: हज़रत आयतुल्लाहुल उज़्मा वहीद ख़ुरासानी का बयान, 2 उर्दीबहीश्त 1377

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