हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जामा ए मुदर्रिसीन हौज़ा-ए-इल्मिया क़ुम के रुक्न और इमाम-ए-जुमआ तेहरान, आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने शहरकर्द में यौमुल्लाह 9 दी के मौक़े पर होने वाले अज़ीम अवामी इज्तेमा से ख़िताब किया।
उन्होंने कहा कि 9 दी का तारीख़ी दिन मिल्लत-ए-ईरान की विलायत से वफ़ादारी और बसीरत की रौशन निशानी है। यह कोई वक़्ती वाक़िआ नहीं, बल्कि हक़ और बातिल की तारीख़ी कशमकश का सिलसिला है।
आयतुल्लाह ख़ातमी ने कहा कि इंक़ेलाब ए इस्लामी की शुरुआत से ही दुश्मन इस्लामी निज़ाम को कमज़ोर करने की कोशिश करता आ रहा है चाहे वह थोपी गई जंग हो, नाकाम फौजी बग़ावतें हों या फ़ितना-ए-1388। उनके मुताबिक, फ़ितना-ए-1388 का असली मक़सद विलायत-ए-फ़क़ीह की बुनियाद पर हमला करना था, लेकिन मिल्लत-ए-ईरान ने वक़्त पर मैदान में आकर इस साज़िश को नाकाम बना दिया।
उन्होंने रहबर ए मुअज़्ज़म-ए-इंक़िलाब की बयान की गई जंग-ए-तरकीबी का हवाला देते हुए कहा कि दुश्मन पाँच मोर्चों पर हमला कर रहा है: फौजी, मीडिया, साक़ाफ़ती, सियासी और मआशी। उन्होंने वाज़ेह किया कि फौजी और दिफ़ाई मैदान में दुश्मन नाकाम हो चुका है और आज ईरान पहले से ज़्यादा मज़बूत और बाआबरू है।
आयतुल्लाह ख़ातमी ने ज़ोर देकर कहा कि सबसे ख़तरनाक मोर्चा मआशी जंग है, जहाँ अमेरिकी सिनीटर्स खुलेआम ईरानी अवाम को आर्थिक दबाव के ज़रिए तोड़ने की बात करते हैं। इसके मुक़ाबले में रहबर-ए-मुअज़्ज़म-ए-इंक़िलाब दिन-रात अवाम की मुश्किलात, महंगाई और मआश की बेहतरी के लिए कोशिश कर रहे हैं।
दुश्मन चाहता है कि तमाम नाकामियों का इल्ज़ाम क़ियादत पर डाला जाए यह एक ख़तरनाक नफ़्सियाती जंग है।उन्होंने मग़रिब के दोहरे मयार पर तनक़ीद करते हुए कहा कि अगर दुनिया वाक़ई दहशतगर्दी के ख़िलाफ़ है, तो ट्रम्प और नेतनयाहू को गिरफ़्तार किया जाना चाहिए, क्योंकि वही दुनिया के अव्वलीन दहशतगर्द हैं।
आख़िर में आयतुल्लाह ख़ातमी ने कामयाबी की पाँच शर्तें बयान कीं: अल्लाह पर ईमान और तवक्कुल, इस्तेक़ामत, हौसला और पायेदारी, विलायत-ए-फ़क़ीह से मज़बूत वाबस्तगी, और हर मैदान में हर वक़्त आमादगी। उन्होंने कहा कि इन्हीं उसूलों पर अमल करके मिल्लत-ए-ईरान आगे भी दुश्मनों को शिकस्त देती रहेगी।
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