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महिलाओं का इतिहास, भाग - 11
बच्चे और महिलाएंइस्लाम: वो क्रांति जिसने औरतों को फ़ैसले और इच्छा की ताकत दी
हौज़ा/ इस्लाम के अनुसार, औरतें और मर्द दोनों इंसानी ज़िंदगी में पार्टनर हैं, और इसलिए दोनों को बराबर हक़ और समाज के फ़ैसले लेने का हक़ दिया गया है। औरतों के नेचर में दो खास बातें बताई गई हैं:…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 10
बच्चे और महिलाएंइस्लाम मे श्रेष्ठता का मापदंड महिला या पुरूष होना नहीं, बल्कि तक़वा है
हौज़ा / इस्लाम में पुरुष और महिला में श्रेष्ठता का एकमात्र मापदंड तक़वा और नैतिक गुण हैं। हर इंसान को उसके कर्मों का जवाब देना होगा। कुरान ने महिलाओं की उपेक्षा की तीव्र निंदा की है और इंसानों…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 9
बच्चे और महिलाएंइस्लाम ने महिला के ऊपर सदियों की क्रूरता को कैसे समाप्त किया?
हौज़ा / इस्लाम ने औरत की हालत को मुलभूत रूप से बदल दिया और उसे पुरुष की तरह एक स्थायी और बराबर इंसान के रूप में माना। इस्लाम के अनुसार पुरुष और महिला सृष्टि और कर्म के हिसाब से बराबर हैं, और…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 8
बच्चे और महिलाएंएकमात्र धर्म जिसने महिलाओं को उनकी सच्ची गरिमा और मूल्य दिया
हौज़ा / इस्लाम से पहले अरब समाज में महिलाओं की स्थिति सभ्य और जंगली दोनों तरह के रवैयों का मिश्रण थी। महिलाएं आमतौर पर अपने अधिकारों और सामाजिक मामलों में स्वतंत्र नहीं थीं, लेकिन कुछ ताकतवर…
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बच्चे और महिलाएंधर्म के प्रति गहरी समझ अल्लाह की ओर से भलाई का प्रतीक है, डॉ. सय्यदा तस्नीम मूसावी
हौज़ा / जामिआ अल-मुस्तफ़ा कराची में डॉक्टर सैय्यदा तसनीम ज़हरा मूसीवी ने दरस-ए-अख़लाक़ में “रूहानी बीमारी की पहचान और इलाज” के विषय पर भाषण दिया। उन्होंने इस्लामी हदीस— पैग़म्बर सल्लल्लाहो अलैहे…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 7
बच्चे और महिलाएंअरब समाज मे महिलाएँ सामाजिक अधिकारो से क्यो महरूम थी?
हौज़ा / इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 6
बच्चे और महिलाएंपुत्रि को अपमान और अवैध बेटे को सम्मान
हौज़ा/ इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 5
बच्चे और महिलाएंप्राचीन ग्रीस और रोम में महिलाओं की लाचारी और उत्पीड़न की कहानी
हौज़ा / रोम और ग्रीस के पुराने समाजों में औरतों को मा तहत, बे‑इख़्तियार और अमूल्य प्राणी समझा जाता था। उनकी ज़िंदगी के तमाम मामलात चाहे इरादा हो, शादी, तलाक़ या माल‑ओ‑जायदाद सब मर्दों के इख़्तियार…
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बच्चे और महिलाएंहमारे बच्चे नसीहत नही, अमली नमूना देखना चाहते है
हौज़ा/ बच्चे “देख कर” सीखते हैं, “नसीहत सुन कर” नहीं। माता-पिता का अमल, ख़ास तौर पर माँ का, बच्चे के लिए एक स्थायी नमूना होता है।परवरिश में सब्र, लगातार ध्यान और माँ की सक्रिय भागीदारी ज़रूरी…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 4
बच्चे और महिलाएंमहिलाएं: परिवार की ताबेअ, सदस्य नहीं
हौज़ा / प्राचीन रोम में, महिलाओं को परिवार का वास्तविक सदस्य नहीं माना जाता था; परिवार केवल पुरुषों से बना होता था, और महिलाओं को उनकी प्रजा माना जाता था। रिश्तेदारी और उत्तराधिकार केवल पुरुषों…
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महिलाओं का इतिहास, भाग -3
बच्चे और महिलाएंप्राचीन ईरान, चीन, मिस्र और भारत में महिलाओं का जीवन
हौज़ा / प्राचीन भारत में औरतों को मासिक धर्म के दौरान नजिस और पलीद समझा जाता था, और उनके जिस्म या उनके इस्तेमाल की हुई चीज़ों को छूना भी नजिस होने का बाइस माना जाता था। उस ज़माने में औरत को न…
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बच्चे और महिलाएंपारिवारिक शिक्षा और प्रशिक्षण | बच्चों के रात्रि भय का उपचार, दो सुनहरे नियम
हौज़ा / अगर आपका बच्चा अकेले सोने से डरता है तो वालिदैन, ख़ास तौर पर माँ को चाहिए कि अपने पुरसुकून रवैये और एतिमाद बख़्श मौजूदगी से उसे सुरक्षा का एहसास दें। और दिन के वक़्त खेल और गतिविधियों…
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महिलाओं का इतिहास भाग -2
बच्चे और महिलाएंअज्ञानी और आदिवासी राष्ट्रो में महिलाओं का दर्दनाक जीवन
हौज़ा / पसमांदा क़ौमों में औरत को न कोई हक़ हासिल था और न ही ज़िंदगी में कोई इख़्तियार। उसे मर्द के ताबे समझा जाता था, और बाप या शौहर को उस पर मुकम्मल इख़्तियार हासिल होता था। मर्द अपनी बीवी…
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महिलाओं का इतिहास भाग -1
बच्चे और महिलाएंअल्लामा तबातबाई की नज़र में महिलाओं के अपमान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हौज़ा / इस्लामी क़ानून इंसानी तज़रबों पर आधारित नहीं हैं, बल्कि इंसान की असली भलाई (मस्लहत) और बुराइयों पर क़ायम हैं। इन क़ानूनों की अहमियत समझने के लिए ज़रूरी है कि हम पिछली और मौजूदा क़ौमों…
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बच्चे और महिलाएंहम अपने बच्चो को नेकी की तिलक़ीन और बुराई से किस प्रकार रोकें?
हौज़ा / यह बात समझनी बहुत ज़रूरी है कि बच्चों की धार्मिक और नैतिक परवरिश की सबसे बुनियादी नींव “प्यार” है। माहिरों का कहना है कि माता-पिता अगर अपने बच्चों के साथ प्यार और आत्मीयता का रिश्ता बनाए…
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बच्चे और महिलाएंनई इस्लामी सभ्यता के निर्माण में ईरानी महिलाओं की ऐतिहासिक भूमिका
हौज़ा / फ़िरदौसी यूनिवर्सिटी में इस्लामी इतिहास की अध्यापिका ने कहा कि ईरानी महिलाओं ने इस्लामी क्रांति से लेकर प्रतिरोध मोर्चे तक नई इस्लामी सभ्यता के निर्माण में बेजोड़ भूमिका निभाई है।
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मदरसा ए इल्मिया रेहानतुर रसूल (स) मे सांस्कृतिक मामलो की प्रमुखः
बच्चे और महिलाएंमहिलाओं के उचित स्थान की पहचान नेक पीढ़ी के निर्माण और इस्लामी समाज के विकास का मूलभूत आधार है
हौज़ा / मदरसा ए इल्मिया रेहानतुर रसूल (स) तेहरान मे सांस्कृतिक प्रोग्राम "गौहर शाद" का आयोजन किया गया।
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बसीज फातिमिया अजुमन-ए-साहिबुज़-ज़मान के तहत विलादत-ए-बासआदत-ए-हज़रत ज़ैनब सल्लल्लाहु अलेहिया और यौम-ए-नर्स के मौके पर महफ़िल का आयोजनः
बच्चे और महिलाएंहज़रत ज़ैनब कुबार का किरदार इंसानियत के लिए मशअल ए राह, सुश्री फ़िज़्ज़ा अज़ीज़ा
हौज़ा / बसीज फातिमिया अजुमन-ए-साहिबुज़-ज़मान के तहत विलादत-ए-बासआदत-ए-हज़रत ज़ैनब सल्लल्लाहु अलेहिया और यौम-ए-नर्स के मौके पर तयसूरो, राज्य अलिय (सतान-ए-आलिया) में एक गरिमामय सभा का आयोजन…
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बच्चे और महिलाएंदुश्मन की नजर इस्लामी महिलाओं और परिवार पर है।
हौज़ा / अगर इस्लाम की संस्कृति को सही तरीके से लोगों के सामने रखा जाए तो वे उसकी ओर आकर्षित होंगे और फिर ताकतवरों के आगे नहीं झुकेंगे। इसलिए दुश्मनों ने कई योजनाएं बनाई हैं। इस लड़ाई की अगुवाई…
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बच्चे और महिलाएंतालीम और परवरिश इंसान के अंदर छुपे हुए अल्लाह के हुनर को उजागर करने का रास्ता हैः दीनी विशेषज्ञ
हौज़ा / फातमीया स्कूल ऑफ़ इस्लामी स्टडीज, अशकजेर में छात्रों के लिए एक तालीमी बैठक हुई।जिममें रहिमी जो धार्मिक जानकार और सांस्कृतिक एक्टिविस्ट हैं तालीम के मतलब और मकसद पर बात की।
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बच्चे और महिलाएंबच्चों के झगड़ों को बढ़ा देने वाली माता-पिता की कुछ बड़ी गलतियाँ
हौज़ा / सामान्य धारणा के विपरीत, बच्चों के बीच झगड़ा वास्तव में उनके नैतिक और सामाजिक विकास का एक साधन बन सकता है। इस साक्षात्कार में बचपन से लेकर किशोरावस्था तक झगड़े के विभिन्न चरणों और इस…
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बच्चे और महिलाएंख़ानदानी माहेरीन: नई पीढ़ी को नए तरबियत की आवश्यकता है
हौज़ा / आज हम एक नई पीढ़ी के सामने हैं जो किशोरावस्था में प्रवेश कर चुकी है, और उनकी परवरिश के तरीकों पर ध्यान देना समाज के भविष्य को आकार दे सकता है।
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बच्चे और महिलाएंयुवा पीढ़ी की नैतिक शिक्षा हमारे हाथ में है या दूसरों को सौंपी गई है?
हौज़ा / सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग एक ऐसा युग है जिसमें कोई केंद्रीयता नहीं बची है। दुनिया के किसी भी कोने में कोई भी व्यक्ति चाहे तो दूसरों के लिए सामग्री तैयार कर सकता है।…
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बच्चे और महिलाएंइमाम हसन अस्करी (अ) ज्ञान, धैर्य और प्रतिरोध के एक उज्ज्वल प्रतीक हैंः श्रीमति सुसन गूदरज़ी
हौज़ा/ईरान के खंदाब स्थित महदिया मदरसा की निदेशक सुश्री सुसान गूदरज़ी ने कहा कि इमाम हसन अस्करी (अ) ने अब्बासी सरकार के कड़े दबाव और कड़ी निगरानी के बावजूद शैक्षणिक, राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों…
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हौज़ा ए इल्मिया में नई प्रवेश लेने वाली छात्राओं को शिक्षकों की कुछ सलाह;
बच्चे और महिलाएंहौज़ा ए इल्मिया में आएँ तो पूरे विचार और उद्देश्य के साथ आएँ
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया ख़ाहारान की शिक्षिका ने कहा: छात्राओं को धार्मिक शिक्षा में गंभीर विचार और बौद्धिक जागरूकता के साथ प्रवेश करना चाहिए।
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बच्चे और महिलाएंइस्लाम में महिलाओं का महान स्थान
हौज़ा / सामाजिक समीकरणों में स्त्री और पुरुष का स्थान और सामाजिक परिवर्तन में प्रत्येक की भूमिका, मानव चिंतन की प्राचीन चुनौतियों में से एक रही है।
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बच्चे और महिलाएंहज़रत रसूल अल्लाह का जीवन धैर्य और प्रेम का स्कूल हैं।
हौज़ा / हर्मुज़गान में हज़रत ज़ैनब (स.ल.) स्कूल की शोध सहायक ज़हेरा सालेहीपुर ने कहा है कि पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के व्यक्तित्व और उनके नैतिक और आध्यात्मिक गुणों को समझना आज मुसलमानों…
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बच्चे और महिलाएंबच्चों को खिलौनों से खेलने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें?
हौज़ा/ छह साल के बच्चे की खिलौनों में रुचि जगाने के लिए, खिलौनों से खेलने के अनुभव को रोचक और समझने योग्य बनाना ज़रूरी है। खिलौने बच्चे की उम्र और क्षमता के अनुसार उपयुक्त होने चाहिए, और उनकी…
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बच्चे और महिलाएंइमाम ए ज़माना अ.स. की हक़ीकी पहचान हासिल करना सबकी पहली ज़िम्मेदारी है। मोहतरमा फिज़्ज़ा मुख्तार
हौज़ा / मोहतरमा फिज़्ज़ा मुख्तार नक़वी ने कहा कि इमाम ज़माना अ.स. की पहचान अच्छे आचरण का पालन अनिवार्य कार्यों का पालन, पापों से बचना और प्रार्थनाओं को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना हमारे मूल कर्तव्य…
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बच्चे और महिलाएंहज़रत रसूल अल्लाह (स) की सीरत और पूर्व इस्लामी सभ्यताओं में महिलाओं के अधिकारों का तुलनात्मक समीक्षा
हौज़ा / बाकिरुल उलूम अ.स.विश्वविद्यालय की शैक्षणिक समिति की सदस्य ने दिव्य धर्मों के वैश्विक मिशन को मौलिक आस्थागत और सामाजिक परिवर्तनों का प्रेरक बताते हुए कहा, इस्लाम ने भी अन्य धर्मों की तरह…