हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के शुरुआती हिस्से में आज़म अल-सादात काज़मी ने हिजाब और शालीनता के विषय पर बात करते हुए कहा: हिजाब एक कीमती मोती की तरह है जो मुस्लिम औरत की इज्जत और उसकी शख्सियत की हिफाज़त में बेमिसाल भूमिका निभाता है।
मदरसा इल्मिया रेहानातुर रसूल (स) में सांस्कृतिक मामलों की प्रमुख श्रीमति ज़हरा अर्दबेली ने कहा: औरत का वजूद इस सृष्टि के निज़ाम में बहुत अहम और ऊँचा मकाम रखता है। औरत के इलाही मिशन और उसके बुलंद दर्जे की सही पहचान ही नेक पीढ़ी की परवरिश और इस्लामी समाज की असली तरक़्क़ी की बुनियाद है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रम के एक हिस्से में इस्लामी दृष्टिकोण से सुंदरता और उसकी खूबियों का विश्लेषण पेश किया गया। इस मौके पर रखे गए शोध के अनुसार, आज के दौर में कुछ महिलाओं के ग़लत जीवनशैली अपनाने की एक बड़ी वजह इस्लामी सौंदर्यशास्त्र से अनजान होना है।
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