हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " अलकाफ़ि" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الکاظم علیہ السلام
فِطْرُكَ أَخاكَ الصّائِمَ خَيْـرٌ مِنْ صِيـامِكَ
हज़रत इमाम काज़िम(अ.स.) ने फरमाया:
अपने रोज़ेदार भाई को इफ्तार कराना (मुस्तहबी) रोज़ा रखने से बेहतर है।
उसूले काफी,भाग 4,पेंज 68,हदीस 2