हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, सना ने बुधवार को जॉर्डन मे स्थित अपने परिवार से मुलाकात की। जॉर्डन नदी के दूसरी तरफ खड़े होकर उन्होंने अपने परिवार को देखा जो जॉर्डन के इलाके मे अलमग़तास का हिस्सा है। ज्ञात रहे कि सना उन 50,000 फिलिस्तीनियों में से एक है जिनके लिए इज़राइल आईडी कार्ड या पारिवारिक यात्रा परमिट जारी नहीं करता है, यही वजह है कि वह अपने परिवार से मिलने के लिए जॉर्डन की यात्रा नही कर सकती। जबकि इज़राइल जॉर्डन में रहने वाले फिलिस्तीनियों को भी कब्जे वाले फिलिस्तीन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देता है जब तक कि वे एक विशेष पत्र प्राप्त नहीं करते हैं। जो प्राप्त करना जटिल और कठिन है।
चौबीस साल बाद, सना अपनी बहन से मिली और आंसुओं में कहा कि उसे विश्वास नहीं हो रहा है कि वह अपनी बहन को देख रही है। सना ने कहा कि उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं है और उसे पहचान पत्र नहीं दिया गया है। सना के माता-पिता की मृत्यु जॉर्डन में हुई लेकिन सना ने नहीं देखा। एक और 34 वर्षीय फिलिस्तीनी महिला, रबा अस्सलाएमा, जो जॉर्डन नदी के दूसरी ओर अपने परिवार से मिली और खुशी के आंसू बहाए, यह भी कहती है कि मैने जॉर्डन मे स्थिति अपने परिवार को 11 साल से नही देखा।
फ़िलिस्तीनी नागरिक मामलों की निगरानी समिति के अध्यक्ष हुसैन अल-शेख ने कहा कि इज़राइल लगभग 10 साल पहले 50,000 फ़िलिस्तीनी लोगों को पहचान पत्र जारी करने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन अब तक कोई कार्ड जारी नहीं किया गया, जिससे उन्हें जॉर्डन में अपने परिवारों वालो से मिलने के लिए रोक दिया गया है। ज्ञात रहे कि इन फिलिस्तीनियों को 2000 से पहचान पत्र नहीं दिए गए हैं।