हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, सऊदी लीक्स वेबसाइट का कहना है कि सऊदी अधिकारीयो ने कई बार इस बात का दावा किया है कि क़ानूनी हिसाब से नाबालिग अवस्था मे किसी से कोई अपराध हो जाता है तो ऐसे नाबालिग़ों को फांसी देने पर रोक लगा दी गई है। इस दावे के बावजूद सऊदी अरब के शिया बाहुल्य क्षेत्र क़तीफ के उन 40 से अधिक युवाओं पर सज़ा ए मौत का ख़तरा मंडरा रहा है जिन्होंने सन 2011 में विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था। इनका मात्र एक गुनाह है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शनों में क्यों भाग लिया।
ज्ञात रहे कि एक सप्ताह से भी कम समय पहले सऊदी अधिकारियों ने "मुस्तफ़ा बिन हाशिम" को फांसी की सज़ा दे दी जिसने नाबालिग़ रहते हुए सऊदी शासन विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया था।मुस्तफ़ा अद्दरवीश को ऐसी हालत में मौत की सज़ा दी गयी जब उसे क़तीफ़ में 2015 के शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लेने पर जिस समय गिरफ़्तार किया गया था उसकी उम्र सिर्फ़ 17 साल थी।
सऊदी शासन ने 17 साल के मुस्तफ़ा बिन हाशिम पर शाही शासन के ख़िलाफ़ हथियार उठाने, राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने, सऊदी सुरक्षा बलों को मारने के लिए आतंकवादी गुट बनाने और विद्रोह भड़काने के आरोप लगाए थे जिनको मानवाधिकार संगठनों ने सिरे से ख़ारिज करते हुए रियाज़ शासन से मौत की सज़ा को रद्द करने की मांग की थी।
याद रहे कि सऊदी अरब की जेलों में 160 फ़िलिस्तीनी भी बंद हैं। सऊदी शासन ने सन 2019 से इस देश में रहने वाले फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़ार करना आरंभ कर दिया। जिन फ़िलिस्तीनियों को सऊदी जेलों में बद करके रखा गया है उनमें हमास के नेता "मुहम्मद अलख़जरी" भी शामिल हैं।