हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने,लाइलाज मरीज़ को बेहोश करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल:क्या ऐसे वक्त जहां रोगी चिकित्सकीय रूप से असाध्य (लइलाज) हैं और मृत्यु के समय तक गंभीर दर्द सहना पड़ सकता है, क्या उसे मृत्यु के समय तक उसकी सहमति से एनेस्थेटाइज किया जा सकता है ताकि उसे किसी दर्द का सामना न करना पड़े?
उत्तर: अगर बेहोश करना मौत का कारण या मौत आने में जल्दी का सबब बने या बेहोश करने पर इस को तकलीफ पहुंचे तो तो उसकी सहमति से कोई समस्या नहीं है।