۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
مولانا ڈاکٹر ذوالفقار حسین

हौज़ा/ कुरान मजीद का हज़रत ज़ैनब की ज़बान पर जारी होना और इससे इस्तेदलाल करना ये ज़ाहिर कर रहा है,कि वह कुरान से कभी दूर नहीं हुई और हमेशा कुरान को एक प्रकाशस्तंभ बना दिया जब विपत्ति की दुनिया में आदमी सब कुछ भूल जाता है। लेकिन उन्होंने हमें सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में कुरान को न छोड़ें और जितना हो सके उसका पालन करें।कर्बला के लोगों का अंतिम संदेश कुरान है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हुज्जातुल इस्लाम मौलाना डॉक्टर ज़ुल्फिकार हुसैन ने मजलिस को खिताब फरमाते हुए कहा कि हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा का मर्तबा बहुत बुलंद है इसके बारे में यही काफी है कि आप आलेमा ए गै़रे मोअल्लेमा थी, आप कुरान की आयत में बात करती थी,
आपकी हर साँस क़ुरआन की तसबीह करती है आपकी जबान, आपका चरित्र और आपकी गति क़ुरआन का आईना है।
उन्हें कुरान से कभी अलग नहीं किया जा सकता है। उनका हर काम कुरान के साए में है। चाहे वह फूफा में बात की हो या दरबारे शाम में यज़ीद के दरबार में यह हमेशा अपना संदेश कुरान के ज़रिए देती रही,
हज़रत ज़ैनब स.ल.और कुरान की तफसीर
कुरान मजीद जिस घर में नाज़िल हुआ उस घर की परवरदा का नाम हज़रत ज़ैनब है। कुरान की तफ्सीर के बारे में जो चीज़ तारीख में आई है वह यह है कि हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम के ज़ाहिरी खिलाफत के ज़माने में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा वहा की औरतों को कुरान की शिक्षा दिया करती थी, एक बार वहां की औरतों के लिए हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा कुरान की तफ्सीर कर रही थी कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम आ गए और अपनी बेटी की बहुत तारीफ की और लोगों के सामने हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की अज़मत को वाज़ेह किया।
तमाम मुसीबतों के बावजूद बीबी ने कभी कुरान का दामन नहीं छोड़ा, दरबारे यज़ीद से लेकर शाम तक कुरआन के ज़रिए दलील देती रही।
कूफे के दरबार में कुरान की आयत के ज़रिए दलील
इस्लाम के दुश्मनों ने कुरान को एक खेल बना लिया था और अल्लाह के संदेश को बनी हाशिम का फरेब बयान करना शुरू कर दिया था, बीवी ने अपने खुत्बे और कुरान की आयतों के ज़रिए यज़ीद के चेहरे पर पड़े हुए पर्दे को उठा दिया और भरे दरबार में बता दिया कि कुरान के संदेश पर हम अमल करते हैं तुम सिर्फ लोगों को धोखा देते हो, इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के कत्ल के बाद जनाबे ज़ैनब ने पूरी जिम्मेदारी से अपने भाई का संदेश दुनिया तक पहुंचाया और कुरान का हकीकी वारिस अपने आप को और अहले बैत स.ल. की पहचान कराई इब्ने ज़ियाद के दरबार में जो खुत्बा दिया  कुछ इस प्रकार है:


الْحَمْدُ لِلَّهِ وَ الصَّلَاةُ عَلَى أَبِي مُحَمَّدٍ وَ آلِهِ الطَّيِّبِينَ الْأَخْيَارِ أَمَّا بَعْدُ يَا أَهْلَ الْكُوفَةِ يَا أَهْلَ الْخَتْلِ وَ الْغَدْرِ أَ تَبْكُونَ فَلَا رَقَأَتِ الدَّمْعَةُ وَ لَا هَدَأَتِ الرَّنَّةُ إِنَّمَا مَثَلُكُمْ كَمَثَلِ الَّتِي‏ نَقَضَتْ غَزْلَها مِنْ بَعْدِ قُوَّةٍ أَنْكاثاً تَتَّخِذُونَ‏
أَيْمانَكُمْ دَخَلًا بَيْنَكُمْ‏ أَلَا وَ هَلْ فِيكُمْ إِلَّا الصَّلَفُ وَ النَّطَفُ وَ الصَّدْرُ الشَّنَفُ وَ مَلَقُ الْإِمَاءِ وَ غَمْزُ الْأَعْدَاءِ أَوْ كَمَرْعًى عَلَى دِمْنَةٍ أَوْ كَفِضَّةٍ عَلَى مَلْحُودَةٍ أَلَا سَاءَ مَا قَدَّمَتْ لَكُمْ أَنْفُسُكُمْ أَنْ سَخِطَ اللَّهُ عَلَيْكُمْ وَ فِي الْعَذَابِ أَنْتُمْ خَالِدُونَ أَ تَبْكُونَ وَ تَنْتَحِبُونَ إِي وَ اللَّهِ فَابْكُوا كَثِيراً وَ اضْحَكُوا قَلِيلًا فَلَقَدْ ذَهَبْتُمْ بِعَارِهَا وَ شَنَارِهَا وَ لَنْ تَرْحَضُوهَا بِغَسْلٍ بَعْدَهَا أَبَداً وَ أَنَّى تَرْحَضُونَ قَتْلَ سَلِيلِ خَاتَمِ النُّبُوَّةِ وَ مَعْدِنِ الرِّسَالَةِ وَ سَيِّدِ شَبَابِ أَهْلِ الْجَنَّةِ وَ مَلَاذِ خِيَرَتِكُمْ وَ مَفْزَعِ نَازِلَتِكُمْ وَ مَنَارِ حُجَّتِكُمْ وَ مَدَرَةِ سُنَّتِكُمْ أَلَا سَاءَ مَا تَزِرُونَ وَ بُعْداً لَكُمْ وَ سُحْقاً فَلَقَدْ خَابَ السَّعْيُ وَ تَبَّتِ الْأَيْدِي وَ خَسِرَتِ الصَّفْقَةُ وَ بُؤْتُمْ بِغَضَبٍ‏
مِنَ اللَّهِ وَ ضُرِبَتْ عَلَيْكُمُ الذِّلَّةُ وَ الْمَسْكَنَةُ وَيْلَكُمْ يَا أَهْلَ الْكُوفَةِ أَ تَدْرُونَ أَيَّ كَبِدٍ لِرَسُولِ اللَّهِ فَرَيْتُمْ وَ أَيَّ كَرِيمَةٍ لَهُ أَبْرَزْتُمْ وَ أَيَّ دَمٍ لَهُ سَفَكْتُمْ وَ أَيَّ حُرْمَةٍ لَهُ انْتَهَكْتُمْ وَ لَقَدْ جِئْتُمْ بِهَا صَلْعَاءَ عَنْقَاءَ سَوْآءَ فَقْمَاءَ وَ فِي بَعْضِهَا خَرْقَاءَ شَوْهَاءَ كَطِلَاعِ الْأَرْضِ أَوْ مِلْ‏ءِ السَّمَاءِ أَ فَعَجِبْتُمْ أَنْ مَطَرَتِ السَّمَاءُ دَماً وَ لَعَذابُ الْآخِرَةِ أَخْزى‏ وَ أَنْتُمْ لَا تُنْصَرُونَ فَلَا يَسْتَخِفَّنَّكُمُ الْمَهْلُ فَإِنَّهُ لَا يَحْفِزُهُ الْبِدَارُ وَ لَا يُخَافُ فَوْتُ الثَّارِ وَ إِنَّ رَبَّكُمْ‏ لَبِالْمِرْصادِ.
قَالَ الرَّاوِي:
فَوَ اللَّهِ لَقَدْ رَأَيْتُ النَّاسَ يَوْمَئِذٍ حَيَارَى يَبْكُونَ وَ قَدْ وَضَعُوا أَيْدِيَهُمْ فِي أَفْوَاهِهِمْ وَ رَأَيْتُ شَيْخاً وَاقِفاً إِلَى جَنْبِي يَبْكِي حَتَّى اخْضَلَّتْ لِحْيَتُهُ وَ هُوَ يَقُولُ بِأَبِي أَنْتُمْ وَ أُمِّي كُهُولُكُمْ خَيْرُ الْكُهُولِ وَ شَبَابُكُمْ خَيْرُ
الشَّبَابِ وَ نِسَاؤُكُمْ خَيْرُ النِّسَاءِ وَ نَسْلُكُمْ خَيْرُ نَسْلٍ لَا يُخْزَى وَ لَا يُبْزَى.


अल लोहुफ, सैय्यद इब्ने ताऊस,पेंज146

अंत: में मौलाना ने बयान किया कि पूरी बहस का नतीजा यह हुआ कुरान करीम का हजरत जेनब की जबान पर जारी होना और उसके
कुरान मजीद का हज़रत ज़ैनब की ज़बान पर जारी होना और इससे इस्तेदलाल करना ये ज़ाहिर कर रहा है,कि वह कुरान से कभी दूर नही हुई और हमेशा कुरान को एक प्रकाशस्तंभ बना दिया जब विपत्ति की दुनिया में आदमी सब कुछ भूल जाता है।
लेकिन उन्होंने हमें सिखाया कि किसी भी परिस्थिति में कुरान को न छोड़ें और जितना हो सके उसका पालन करें।कर्बला के लोगों का अंतिम संदेश कुरान है।

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