۱۵ تیر ۱۴۰۳ |۲۸ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 5, 2024
مولانا نوید عابدی

हौज़ा/इंसानियत के इतिहास में एक शख्स ऐसा भी है जिसका जन्म दिन नहीं मनाया जाता लेकिन शहीद ज़रूर मनायी जाती है। और इस मज़लूम का नाम हज़रत मोहसिन अ.स.है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इंसानियत के इतिहास में एक शख्स ऐसा भी है जिसका जन्म दिन नहीं मनाया जाता लेकिन शहीद ज़रूर मनायी जाती है। और इस मज़लूम का नाम हज़रत मोहसिन अ.स.है। उत्तर प्रदेश के मशहूर शहर मेरठ में इमामबारगाह छोटी कर्बला में मां के पेट में शहीद हुए हज़रत मोहसिन अलैहिस्सलाम की शहादत के सिलसिले में एक मजलिस की गई, इस मजलिस को
मौलाना नावेद आबदी ने संबोधित किया और मजलिस में तफ्सील से हज़रत मोहसिन अलैहिस्सलाम के बारे में बयान फरमाया,

दरे सैय्यदा और जनाब मोहसिन के बारे में तकरीर करते हुए मौलाना ने फरमाया: यह वह दर है जहां रसूल अल्लाह नमाज़ से पहले सलाम का नज़राना पेश करते थे,
मौलाना नावेद आबदी बीबी फातिमा के दर का शरफ बयान करते हुए कहा कि मल्कुल मौत वह फरिश्ता है जिसे आने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है लेकिन वही मल्कुल मौत बीबी के दहलीज़ पर आकर घर में आने की अनुमति मांग रहा है बार-बार बीवी के घर की इतनी अज़मत है कि मल्कुल मौत को भी घर में आने के लिए बीबी से इजाज़त लेनी पड़ी
इस मजलिस में हदीसे किसा मौलाना आउन मोहम्मद ने बयान की और मजलिस के बाद नौहा और मातम हुआ और लोगों ने बहुत बड़ी तादाद में शिरकत की

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