हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मौलाना नईम अब्बास नौगांवी ने अमरोहा के जाफरी मोहल्ला के अज़ा खा़ने मे एक इसाले सवाब की मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि शीअत को इनता नुक़सान बनी उमय्या के शासकों से नहीं पहुंचा जितना कि बिके हुए मौलवियों और जाकिरो ने पहुंचाया है।
मौलाना नईम अब्बास ने मजलिस के संस्थापकों और श्रोताओं से ऐसे जाकिरों को हतोत्साहित करने के लिए कहा। मौलाना नईम अब्बास ने कहा कि अगर मिंबर को मज़हबे हक़्क़ा के पैग़ाम को पहुंचाने के लिए इस्तेमाल नही किया जाता है तो वह मिंबर नही है बल्कि लकड़ीयो से तैयार किया हुआ एक ढांचा है। मौलाना नईम अब्बास ने मोमेनीन को रुलाने के लिए मसाइब गढ़ने वाले जाकिरों की भी आलोचना की।
मजलिसे अज़ा का एहतेमाम अज़ादार और ज़व्वार दिवंगत ताजदार मेहदी की 40वीं बरसी के अवसर पर किया गया। मजलिस मे सोजखानी हसन इमाम और उनके हमनवाओ ने की जबकि ताजीयती कलाम मोहसिन नकवी ने पेश किया। मरहूम ताजदार मेहदी के प्रति अपने प्यार का इजहार करने के लिए मजलिस में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।