हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने महदान के गवर्नर अली रज़ा कासमी से मुलाकात के दरमियान उन्हें हज़रत मोहम्मद मुस्तफा और इमामे जाफर सादिक अलैहिस्सलाम की विलादत की मुबारकबादी पेश करते हुए जाहिलियत के ज़माने में हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स.ल.व.व.को मबअस को मोज़िज़े से ताबीर किया, और खुरासान में अन्य धर्मों के विद्वानों के साथ इमाम रज़ा (अ) के मुनाज़रे की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा:कि हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने पैगंबर अकरम की हक्कानियत को साबित किया औरआप यतीम थे,
आपकी आर्थिक स्थिति खराब थी, ज्ञान प्राप्त करने के लिए आपने कभी किसी शिक्षक के सामने घुटने नहीं टेके,
ऐसे आदमी को कुरान दिया गया क्योंकि अल्लाह ताअला अपनी हिकमत और कुदरत का इल्म बुलंद करता है इसीलिए विलादत पैग़ंबरे अकरम के दिन एक अज़ीम दिन है।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने जिम्मेदारियों और जवाबदेही को पहचानने के साथ-साथ इस्लाम और क्रांति के दुश्मनों की पहचान करने के महत्व को ज़ोर दिया,आज इस्लाम का दुश्मन हर तरह के हथियारों से लैस इस्लाम के खिलाफ लड़ रहा है।अपनी दुश्मनी नहीं छोड़ी है ईरान और क्रांति, इसलिए हमें मैदान में उतरना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना चाहिए
आपने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि,ज़िम्मेदारों का काम एक अमानत है जो इन्हें सौंपा गया है और जिसके लिए वह करोड़ों लोगों के जवाब देह हैं। और जिम्मेदारों को अपनी रोटी रोज़ी चलाने के लिए नहीं
बल्कि लोगों की सेवा के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए।
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