۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
مولانا سید رضا حیدر زیدی

हौज़ा/इत्तेहाद बैनुल मुस्लिमीन का मतलब यह नहीं है कि हम अपने अकीदे को बदल दें, बल्कि समानताओं पर चर्चा करें और विभाजनकारी मुद्दों से बचें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. और हज़रत इमाम जफार सदीक अ.स. कि विलादत के मौके पर हैं हफ्तये वहदत के मौज़ू पर दिल्ली अज़ादरी नेटवर्क पर ऑनलाइन समारोह का आयोजन किया गया है।
जिसमें हुज्जातुल इस्लाम मौलाना सैय्यद रज़ा हैदर जै़दी सहाब प्रिंसिपल हौज़ाये इल्मिया हज़रत ग़ुफ्राने मआब र.ह. लखऊन ने कुरआन करीम के सुराह अहज़ाब कि तिलावत कर के वहदत पर ज़ोर दिया
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.  को सभी मानव जाति के लिए सुंदरता का एक मॉडल बनाया हैं।
अगर मुसलमान ने आपकी जीवनी अपना ली होती तो आज उन को नकामी का सामना नहीं करना पड़ता, हजरत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. तमाम लोगों के लिए नमूना है और अल्लाह की तरफ से लोगों के लिए नमूना बनाकर भेजे गए थे,
अगर मुसलमान उनके रास्ते पर चलता तो आज खुद काबिले पैरवी होता लेकिन वह यह साबित ना कर सका इसकी वजह यह है कि मुसलमानों ने रसूलल्लाह कि ज़ाहिरी सीरत को अपनाने की कोशिश की लेकिन बातिन को भुला बैठे,
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मौलाना सैय्यद रज़ा हैदर जै़दी ने हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम की एक रिवायत को बयान करते हैं खुदा बंदे पर रहमत नाजिल करें जो हमारे अम्र को जिंदा करें, को बयान करते हुए फरमाया कि हुक्म अहलेबैत यानी इल्म को सिखाना और दूसरों तक पहुंचाना है,
हजरत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम ने अपने एक सहाबी को खत लिखा जिससे वह नमाज़ के बाद देखते और गौर करते थे इस खत में इमाम अ.स.  ने नसीहत की है कि अल्लाह से दुआ तलब करो,
स्वास्थ्य और सुरक्षा कल्याण है जिसे हमें संजोना चाहिए।
इमाम अ.स. में इस खत में बयान किया है कि जिंदगी कैसे पुज़ारी जाए और दुश्मनों के साथ कैसे बर्ताव करें अपने दुश्मनों के साथ नरम बर्ताव की ताकिद की और बुराई का बदला लेने का तरीका बताया हमेशा उनके साथ अख्लाक से पेश आओ ताकि वह तुम्हारे अख्लाक अपनी जिंदगी में बदलाव लाएं
अंत में उन्होंने जडोर देते हुए कहा कि
इत्तेहाद बैनुल मुस्लिमीन का मतलब यह नहीं है कि हम अपने अकीदे को बदल दें, बल्कि समानताओं पर चर्चा करें और विभाजनकारी मुद्दों से बचें।

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