हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , अलजवाद फाउंडेशन के सदस्यों उलेमा और मशहदे मुकद्दस में रह रहे भारतीय छात्रो ने, वसीम रुश्दी की कड़े शब्दों में निंदा की है। और इस मालउन को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है,
जिसका पाठ इस प्रकार है:
إِنَّ الَّذينَ كَفَروا بَعدَ إيمٰنِهِم ثُمَّ ازدادوا كُفرًا لَن تُقبَلَ تَوبَتُهُم وَأُولٰئِكَ هُمُ الضّالّونَ
سورہ آل عمران آیت 90
जिन लोगों ने ईमान के बाद कुफ्र अख्तियार कर लिया, और कुफ्र में पढ़ते ही चले गए इनकी तो तौबा बिल्कुल कुबूल नहीं होगी, और वह हक़ीक़ी तौर पर गुमराह है ।
बेशक अल्लाह ताआला के वादे के मुताबिक इंसानी काफिला इस्लाम के दैनिक विकास के कारण ईश्वरीय मूल्यों का प्राधिकार चरम लक्ष्य की ओर होता है।
अगर हम पैग़ंबरे इस्लाम की सीरत का पाठ पड़े तो हमें मालूम होगा कि इस वक्त के काफिर और सख्त दुश्मन भी आपको अमीन और सादिक मानते थे,
पैग़ंबरे इस्लाम स.ल.व.व.का किरदार व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन के सभी मामलों में, कुछ उपदेश ऐसे हैं जो धार्मिक और कुरानी समाज में अर्थपूर्ण होते हैं.
आपका हमेशा संदेश था कि बुरे लोग से दूरी बनाए रहे और ज़ालिमों की मदद ना करें और उनका पूरी तरीके से बाइक काट करें और उनका साथ ना दे, कत्ल करने वालों के खिलाफ आवाज़ उठाना और दुश्मन को पहचानना दुश्मन के खिलाफ आवाज उठाना, पैग़ंबरे इस्लाम ने हर तरह की बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाया और लोगों को आवाज उठाने का आदेश दिया, इसी वजह से आपके दुश्मन आपको बुरे बुरे शब्दों से बुलाया कोई जादूगर का कोई पागल का कोई साहिर कहा,
उस समय यह कार्य इजरायलवाद तथा इसके अनुयायियों ने किया हैं।
जिस जिस में कुरान की मुखालिफत की अल्लाह ताला ने उसको जलील किया और आज वह शर्मिंदगी की जिंदगी गुजार रहे हैं,
पैग़ंबरे इस्लाम की तौहीन करने वाले दुनिया में भी ज़लील होंगे और आखिरत में भी ज़लील होंगे
पैग़ंबरे इस्लाम की शान में गुस्ताखी करने वाला मलऊन वसीम माह की सजा से दूर नहीं भाग सकता, ऐसे से तमाम मुसलमान और लोग इसको बाइक काट करते हैं, और सरकार से निवेदन करते हैं किस को सख्त से सख्त सजा दी जाए और इसको सलाखों के पीछे डाला जाए, यह स्वतंत्र भारत में नफरत फैला रहा है और नफरत के बीज बो रहा है इसका जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है।