हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیرالمومنین علیه السلام
(اِذا طافَ فِى الاَْسواقِ وَ وَعَظَهُمْ): يا مَعْشَرَ التُّجّارِ قَدِّمُوا الاِْسْتِخارَةَ وَتَبَرَّكُوا بِالسُّهُولَةِ وَاقْتَرِبُوا مِنَ اَلْمُتَبايِعَيْنِ وَتَزَيَّنُوا بِالْحِلْمِ وَتَناهَوْا عَنِ الْيَمينِ وَجانِبُوا الْكِذْبَ وَتجافُوا عَنِ الظُّلْمِ وَاَنْصِفُوا الْمَظْلُومينَ وَلاتَقْرَبُوا الرِّبا «وَاَوْفُوا الْكَيْلَ وَالْمِيْزانَ وَلاتَبْخَسُوا النّاسَ اَشْيائَهُم وَلاتَعْثَوا فِى الاَْرْضِ مُفْسِدينَ»
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
ए तिजारत करने वालों बिजनेस करने वालों अपने काम की शुरुआत अल्लाह तआला के नाम से करो, और अपने बिजनेस में आसानी के साथ बरकत हासिल करो, खरीदारों के साथ अच्छा व्यवहार करो ताकि वह तुम्हारे करीब आए, अपने आप को धैर्य के जरिए सजाएं , कसम खाने से दूरी करें ,झूठ से दूर रहे , ज़ुल्मों सितम से दूरी करें ,
उत्पीड़ितों को उचित सम्मान दें , सूद और सूदखोरों के करीब ना जाओ, तराज़ू को सही रखो( तौलने में कमी ना करो) और ज़मीन पर भ्रष्टाचार ना फैलाओ,
बिहारूल अनवार, 54/78