हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहील उज़मा मकारिम शिराज़ी ने ईरान के शहरे क़ुम में नमाज़ के विषय पर आयोजित छठी बैठक में दिए गए अपने संदेश में पवित्र पैगंबर (स.ल.व.व.) की रिवायत को बयान करते हुए कहा,हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया,
"لِکُلِّ شَیْءٍ وَجْهٌ وَ وَجْهُ دِینِکُمُ اَلصَّلاَهُ"
हर चीज़ का एक चेहरा है और तुम्हारे दीन का चेहरा नमाज़ हैं,बस नमाज़े दीन इस्लाम का सबसे बड़ा इम्तियाज़ हैं।
इस मरजय तकलीद ने कहां:अगर नमाज़ ना हो तो एक मुसलमान के लिए दीन नामी कोई चीज़ बाकी नहीं रहती इसलिए कहा गया है,
"مَنْ تَرَکَ اَلصَّلاَهَ مُتَعَمِّداً فَقَدْ کَفَرَ"
यानी जिसने भी जानबूझकर नमाज़ को छोड़ा गोया उसने कुफ्र किया, बस नमाज़ सिर्फ आबिदा और मअबुद के दरमियां रबेता ही नहीं हैं।बल्कि उसके मानव जीवन और उसके भाग्य पर भी विभिन्न प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें से एक आध्यात्मिक शांति है।
उन्होंने कहा: आज दुनिया में सबसे बड़ी चिंता और परेशानी है,और इसका सबसे अच्छा इलाज "नमाज़" हैं, क्योंकि नमाज़ अल्लाह तआला का सबसे बड़ा ज़िक्र है जिससे दिलों को सुकून मिलता हैं।