हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा ये चाहा है कि मुसलमानों को परेशान और चिंतित रखें। इस्लाम के पूरे इतिहास में ऐसे बहुत से अवसर आए हैं,
इस्लाम से पहले भी महान जेहादी कार्यवाहियों में जो पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और उनसे पहले के पैग़म्बरों के ज़माने में अंजाम पाईं और जिनमें मोमिन लोग, ईमान पर ठोस तरीक़े से डटे रहे और रूहानी सुकून हासिल कर सके, इस रूहानी सुकून ने उनके अमल को ईमान के दायरे में रखा। वो चिंता में नहीं पड़े, परेशानी का शिकार नहीं हुए और रास्ता नहीं खो बैठे क्योंकि चिंता व परेशानी की सूरत में सही राह खोजना मुश्किल हो जाता है।
वो इंसान जिसे रूहानी सुकून हासिल हो, सही सोचता है, सही फ़ैसले करता है और सही दिशा में चलता है। ये सभी चीज़ें अल्लाह की रहमत की निशानियां हैं। आज हमारे क्रांतिकारी समाज और हमारी मोमिन जनता को इसी रूहानी आराम और सुकून की ज़रूरत है। लोगों को ये सुकून और संतोष अपने अंदर ज़्यादा से ज़्यादा पैदा करना चाहिए। “जान लो कि अल्लाह की याद से दिलों को सुकून मिलता है।“ (सूरए रअद, आयत 28) ख़ुदा की याद ही दिलों को दुनिया और ज़िंदगी की तूफ़ानी घटनाओं में सुरक्षित रखती है, अल्लाह की याद को ग़नीमत समझिए।
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