हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को " सवाबुल अमाल" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
مَنْ أَفْطَرَ يَوْماً مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ خَرَجَ رُوحُ اَلْإِيمَانِ مِنْهُ
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
जो भी (शरई मजबूरी के बगैर) एक दिन रोज़ा नहीं रखता तो ईमान की रूह उससे जुदा हो जाती हैं।
सवाबुल अमाल व एकाबुल अमाल भाग 1,पेंज 236