हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट केअनुसार, जन्नतुल बकीअ विध्वंस दिवस के मौके पर पाकिस्तान के असगरिया छात्र संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष हसन अली सज्जादी ने अपने प्रेस बयान में कहा कि 8 शव्वाल 1349 एएच इतिहास का काला दिन है। अहलेबैत (अ.स.) पैगंबर की पत्नियों और साथियों को इसमें दफनाया गया है। इतिहास इमामों (अ.स.) के अपने जीवन में अत्यधिक उत्पीड़न की घटनाओं से भरा है लेकिन विडंबना यह है कि उनकी शहादत के बाद भी उनके खिलाफ उत्पीड़न आज भी जारी है।
उन्होंने कहा कि जन्नतुल बक़ीअ को ध्वस्त करने का कदम मुस्लिम उम्माह के दिल को एक बड़ा झटका है। ले सऊद ने हमेशा ज़ायोनीवाद और तकफिरियाह का समर्थन किया है और इस्लाम को कमजोर करने का प्रयास किया है। सभी को याद है कि जन्नतुल बकीअ के विध्वंस के बाद, वहाबियों ने पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) के रोज़े को गिराने के लिए भी बढ़े, लेकिन पूरे इस्लामी दुनिया में उनके खिलाफ दुःख और क्रोध की लहर ने उनकी नापाक योजना को सफल नही होने दिया। यदि उस समय मुस्लिम उम्मा को लामबंद नहीं किया गया होता और तकफिरिय्याह के खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाती तो तकफिरिया अपने नापाक इरादों में सफल हो जाती।
उन्होंने आगे कहा कि जन्नतुल बकीअ के शांतिपूर्ण पुनर्निर्माण की मांग करना और इस संबंध में बैठकें, जुलूस और सभा आयोजित करना मुस्लिम उम्मा पर निर्भर है। लोगों को औपनिवेशिक शक्तियों के नापाक इरादों के बारे में सूचित करें। मुस्लिम शासकों, विशेष रूप से पाकिस्तान सरकार से, एकजुट होने और सऊदी सरकार से जन्नतुल बकीअ के तत्काल निर्माण के लिए आग्रह करने का आग्रह किया जाता है।