हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार , मुंबई / अल बक़ीअ आरगेनाइज़ेशन शिकागो अमेरिका द्वारा इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की शहादत के अवसर पर यूरोप, अमेरिका, कनाडा और भारत के प्रतिष्ठित विद्वानों की उपस्थिति में एक भव्य और ऐतिहासिक कांफ्रेंस ज़ूम के माध्यम से आयोजन किया। कांफ्रेंस की अध्यक्षता आर्गेनाइज़ेशन के रूहे रवां मौलाना सैयद महबूब मेहदी ने की। मौलाना ने अपने विद्वतापूर्ण भाषण के दौरान कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी की भी कब्र का अपमान नहीं किया जा सकता क्योंकि कब्र के मालिक के वारिसों का कब्र से गहरा लगाव होता है और उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचई जा सकती है।
महाराष्ट्र के पूना शहर के मौलाना असलम रिजवी ने कहा कि बहुसंख्यक मुसलमान इस्लामी शख्सियतों की कब्रों पर गुंबद बनाने को राजी हैं, इसलिए अल्पसंख्यक बहुसंख्यकों पर अपनी राय नहीं थोप सकते, इसलिए जल्द से जल्द जन्नतुल बक़ीअ दरगाहों का निर्माण हो।
टोरंटो, कनाडा के एक महान विद्वान और शोधकर्ता मौलाना सैयद मोहम्मद रिज़वी ने कहा कि जन्नतुल बक़ीआ के दरगाहों को तोड़ना उत्पीड़न है और किसी को भी उत्पीड़न के खिलाफ चुप नहीं रहना चाहिए।
नजफ अशरफ इराकी इस्लामिक विद्वान मौलाना मुहम्मद अब्बास जहीन नजफी ने कहा कि बकिया का मुद्दा मानवीय गरिमा और आस्था से जुड़ा है।
लंदन, इंग्लैंड के एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान मौलाना मुहम्मद हसन मारुफी ने कहा कि अगर हमारे संगठन उलेमा से हाथ मिलाते हैं तो जन्नतुल बक़ीअ के पुनर्निर्माण के लिए आंदोलन को मजबूत किया जाएगा।
ईरान के धार्मिक नगर क़ुम से मौलाना सैयद एहतेशाम अब्बास जैदी जो कि दर्जनों पुस्तकों के लेखक और अनुवादक भी ने कहा कि जन्नतुल बक़ीअ दुनिया का एकमात्र कब्रिस्तान है जहां पैगंबर का परिवार, पैगंबर की पत्नियां और साथी पैगंबर के दफन हैं सभी मुसलमानों को आगे आना चाहिए।
बंगलौर के एक क्रांतिकारी विचारक मौलाना सैयद मंजूर रजा आबिदी ने कहा कि जन्नतुल बक़ीअ न केवल शियाओं के लिए बल्कि पूरे इस्लामी जगत के लिए भी एक मुद्दा है। इसी तरह, सभी विचारधाराओं को जन्नतुल बक़ीअ के निर्माण के संबंध में अपनी आवाज उठानी चाहिए।
बनारस के एक सम्मानित धार्मिक विद्वान मौलाना सैयद ज़मीरुल हसन ने कहा कि इस आंदोलन को और मजबूत करने के लिए, भारत और भारत के बाहर सभी शोक संघों और धार्मिक संगठनों के लिए आगे आना और सऊदी सरकार को विरोध पत्र भेजना आवश्यक है।
मौलाना महबूब मेहदी ने बकीअ आर्गेनाइज़ेशन की ओर से विद्वानों और दर्शकों, एसएनएन चैनल और सभी मीडिया भागीदारों को धन्यवाद दिया और कहा कि जन्नतुल बक़ीअ के विध्वंस को दो साल बाद सौ साल पूरा हो जाएगा। कम से कम एक हजार शहरों में विरोध प्रदर्शन होना चाहिए।
अंत में मौलाना असलम रिजवी की दुआ पर एक बेहद आकर्षक और ऐतिहासिक कांफ्रेंस अगले कार्यक्रम तक के लिए स्थागित कर दी गई।