हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "तोहफ ए ओकूल" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیه السلام
ثَلاثٌ مَنْ كُنَّ فيهِ فَهُوَ مُنافِقٌ وَاِنْ صامَ وَصَلّى: مَنْ اِذا حَدَّثَ كَذِبَ وَاِذا وَعَدَ اَخْلَفَ وَ اِذَا ائْتـُمِنَ خـانَـُمِنَ خـانَـانَ خـانَـُمِنَ خـانَـانَـُمِنَ خـانَـانَـانَ
हज़रत इमाम जाफर सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया:
मुनाफिक़ की तीन निशानियां हैं, चाहे वह आदमी नमाज़ और रोज़े का पाबंद ही क्यों ना हों- झूठ बोलना, वादा खिलाफी करना और अमानत में ख़यानत करना।
तोहफ ए ओकूल,229
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