हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने उदयपुर राजस्थान में पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) के नाम पर हत्या की निंदा करते हुए कहा है कि कि जिस तरह हम विभिन्न स्थानो पर मॉब लिंचिंग के खिलाफ थे। इसी प्रकार हम इस ग़ैर इस्लामिक और अमानवीय कृत्य को भी शांति के खिलाफ खतरनाक मानते है।। उन्होंने आज यहां जारी एक बयान में इसकी निंदा की।
मौलाना मदनी ने एक बयान में कहा कि यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है, हम सभी के लिए कानून अपने हाथ में लेने का हमेशा कड़ा विरोध करते हैं, उदयपुर की घटना बहुत दुखद, गैर-इस्लामिक और अमानवीय कार्यवाही है। इसलिए इस घटना की जितनी चाहे निंदा की जाए वह कम है। देश का कानून इस मामले में भी काम करेगा।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि जो हुआ वह अभद्र भाषा के कारण बुरा हुआ, लेकिन देश में कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए धैर्य दिखाना आवश्यक है। उन्होंने कहा, "हम घटना का जितना विरोध करते हैं, किसी भी धार्मिक शख्सियत को मानने वालों की भावनाओं का पुरजोर विरोध करते हैं, उनका अपमान करते हैं या किसी धर्म के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि देश की ताकतवर जनता की चुप्पी और अपराधियों को गिरफ्तार न कर पाने के कारण पूरी दुनिया में देश की छवि धूमिल हुई है और कानून-व्यवस्था में आग लगी है, इसलिए हम एक बार फिर सरकार से कहते हैं कि जिन लोगों ने पैगंबर (स.अ.व.व.) के सम्मान का अपमान किया है, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून के अनुसार कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि कोई भी भविष्य में पूरी दुनिया में फिर से ऐसा करने की हिम्मत न करे।
मौलाना मदनी ने आखिरकार कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी आपत्तियों पर ध्यान देगी और इस बेहद दुखद मामले के नतीजे को समझेगी और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा देगी और उन्हें जेल भेज देगी ताकि दुनिया भर के लोग भारत के लोकतंत्र को महत्व दे सकें। अंत में, मैं हर जगह के मुसलमानों से धैर्यपूर्वक रहने और भारत के भाईचारे और करुणा के पुराने इतिहास को जीवित रखने की अपील करता हूं। गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष इन दिनों रबीता-ए-आलम-ए-इस्लामी की बैठक में शामिल होने मलेशिया गए हैं और वहीं से उन्होंने राजस्थान में हुई इस घटना पर बयान दिया है।