हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भारत की केन्द्र सरकार द्धारा इस्लामिक संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया "पीएफआई" को प्रतिबंधित किये जाने को राजनीतिक स्वार्थ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुष्टीकरण नीति का परिणाम बताया है।
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि सरकार के इस फैसले से लोगों में संतोष के बजाय बेचैनी देखने को मिल रही है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, “केन्द्र द्वारा पीपुल्स फ्रण्ट आफ इण्डिया "पीएफआई" पर देश भर में कई प्रकार से टारगेट करके अन्ततः अब विधानसभा चुनावों से पहले उसे उसके आठ सहयोगी संगठनों के साथ प्रतिबन्ध लगा दिया है। उसे राजनीतिक स्वार्थ व संघ तुष्टीकरण की नीति मानकर यहाँ लोगों में संतोष कम व बेचैनी ज्यादा है।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की विरोधी दलों की मांग का जिक्र करते हुए कहा, “यही कारण है कि विपक्षी पार्टियाँ सरकार की नीयत में खोट मानकर इस मुद्दे पर भी आक्रोशित व हमलावर हैं और आरएसएस पर भी बैन लगाने की माँग खुलेआम हो रही है कि अगर पीएफआई देश की आन्तरिक सुरक्षा के लिए खतरा है तो उस जैसे अन्य संगठनों पर भी बैन क्यों नहीं लगना चाहिए?
ज्ञात रहे कि कुछ दिन पहले भारत के केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने देश में कट्टरपंथी विचारों को फैलाने के आरोप में पीएफआई और इससे जुड़े संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था।
कुछ दिन पहले आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मांग की थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक जैसे संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। लालू प्रसाद यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि पीएफ़आई की तरह जितने भी नफ़रत और द्वेष फैलाने वाले संगठन हैं, सभी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जिसमें आरएसएस भी शामिल है।उनका कहना है कि सबसे पहले आरएसएस को बैन करिए क्योंकि यह तो उससे भी बदतर संगठन है।