हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ के नवाब खानदान के चमकते सितारे जाफ़र मीर अब्दुल्ला उन आखिरी शख्सियतों में से एक थे, जिन्होंने अपने पहनावे से ही नहीं, बल्कि अपने तौर-तरीकों से भी लखनऊ की सभ्यता और नवाब खानदान की याद दिलाई। वे एक बौद्धिक व्यक्तित्व थे, लखनऊ के इतिहास, विशेषकर शिया इतिहास और विशेष रूप से लखनऊ के शोक के इतिहास, शैली और आयोजन के अच्छे जानकार थे।
लखनवी अख़लाक़ ख़ास तौर पर फ़र्शी सलाम अपने अनोखे अंदाज़ में कहा करते थे कि जिस किसी से भी मिलें वो अप्रभावित नहीं रह सकता था।
नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला की भी लालित्य साहित्य में विशेष रुचि थी कि वे मुहर्रम के समय श्री मिरानिस और श्री मिर्जा देबीर के शब्दों को पढ़ा करते थे।
लखनऊ में शीश महल में आपकी हवेली है जहाँ आप रहा करते थे। इस हवेली में नवाब के जमाने की वस्तुएं हैं, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लोग नवाब साहब की हवेली जाते थे।
यूपी में समाजवादी शासन के दौरान नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला को सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था।
लंबी बीमारी के बाद 18 अप्रैल 2023 ई रमजान 1444 हिजरी की 26 तारीख को उनका निधन हो गया। जीवन साथी का पहले ही निधन हो चुका है, आपके पसमांदेगान मे 3 बेटियां हैं।
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