हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "अलकाफी" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیہ السلام
كانَ أبي عليه السلام يَقولُ : إنَّ اللّهَ قَضى قَضاءً حَتما أن لا يُنعِمَ عَلَى العَبدِ بِنِعمَةٍ فَيَسلُبَها إيّاهُ ، حَتّى يُحدِثَ العَبدُ ذَنبا يَستَحِقُّ بِذلِكَ النِّقمَةَ .
हज़रत इमाम जाफर सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
मेरे वालिद फरमाया करते थे की अल्लाह तआला ने यकीनी हुक्म में फरमाया हैं, कि जब भी वह किसी बंदे को कोई नेमत आता करेगा तो तब तक वह नेमत उससे वापस नहीं लेगा जब तक वह गुनाह का इरतेकाब करें क्योंकि उस तरह उस सजा का मुस्ताक हो जाएगा यानी उससे वह नेमत वापस ले ली जाएगी,
अलकाफी,2/273/22