۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
नूर

हौज़ा/नूर माइक्रो फिल्म सेंटर जो प्राचीन विरासत की दुर्लभ पांडुलिपियों को खोजने और उनकी मरम्मत करने, उन्हें सुंदर पुस्तकों में बदलने और डिजिटलीकरण के माध्यम से दीर्घकालिक संरक्षण के लिए निस्वार्थ सेवाएं दे रहा है हर दिन अपनी महान उपलब्धियों की सूची में है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नई दिल्ली ,नूर माइक्रो फिल्म सेंटर जो प्राचीन विरासत की दुर्लभ पांडुलिपियों को खोजने और उनकी मरम्मत करने, उन्हें सुंदर पुस्तकों में बदलने और डिजिटलीकरण के माध्यम से दीर्घकालिक संरक्षण के लिए निस्वार्थ सेवाएं दे रहा है हर दिन अपनी महान उपलब्धियों की सूची में है।

यह सेंटर अपनी 20 साल की सेवा के दौरान बहुत सारी पांडुलिपियों को नया जीवन देने वाले नूर माइक्रोफिल्म सेंटर ने प्रगति मैदान पर होने वाली किताबों की प्रदर्शनी में पवित्र हिंदू पुस्तकों की प्राचीन फ़ारसी पांडुलिपियों के आधा दर्जन से अधिक खंड स्टालों पर देखे गए।

इसके आलवा बेहतरीन तरीके से तैयार करना और उसको जिंदा करके हमेशा के लिए महफूज़ करने में नूर माइक्रोफिल्म सेंटर ने प्राचीन और दुर्लभ पुस्तकों का प्रदर्शन किया जो शौकीन लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ हैं।

इस प्रदर्शनी में हिन्दू पुस्तकों की उन प्राचीन दुर्लभ पांडुलिपियों के फ़ारसी अनुवाद प्रस्तुत किये गये, जो कम ही देखने को मिलते हैं।

इस नुमाइश में सनातन धर्म की पवित्र किताब भगवत गीता (फारसी)रामायण (उर्दू) महाभारत (फारसी )विष्णु पुराण (फारसी) भागवत पुराण (फारसी)और दाराश्कोह द्वारा लिखित मजमय अलबहरैन (3 खंड) का फारसी अनुवाद हैं।

जिसको नूर माइक्रोफिल्म सेंटर ने मूल पुस्तक को डिजिटल रूप देकर प्रशंसकों को सौंप दिया हैं इस प्रदर्शनी को देखने वाले बुद्धिजीवियों, विद्वानों, धार्मिक नेताओं और आम लोगों ने इसकी बहुत प्रशंसा की हैं।

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