۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
किताब

हौज़ा/इस्लामिक इतिहास वाली दुर्लभ पांडुलिपियों को खोज कर और मरम्मत करने और भारत में मुसलमानों की दफन होती प्राचीन विरासत को सुंदर पुस्तकों में बदलने और डिजिटलीकरण के माध्यम से उन्हें लंबे समय तक संरक्षित करने का काम कर रहे इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर, ईरान कल्चर हाउस नई दिल्ली अपनी महान उपलब्धियों की सूची में एक और अध्याय जोड़ने में सफल रहा हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नई दिल्ली,13 अप्रैल 2023 इस्लामिक इतिहास वाली दुर्लभ पांडुलिपियों को खोज कर मरम्मत करने और भारत में मुसलमानों की दफन होती प्राचीन विरासत को सुंदर पुस्तकों में बदलने और डिजिटलीकरण के माध्यम से उन्हें लंबे समय तक संरक्षित करने का निःस्वार्थ काम कर रहे इंटरनेशनल नूर माइक्रोफिल्म सेंटर, ईरान कल्चर हाउस नई दिल्ली अपनी महान उपलब्धियों की सूची में एक और अध्याय जोड़ने में सफल रहा हैं।

अपनी 20 वर्षीय सेवा के दौरान कई पांडुलिपियों को नया जीवन देने वाले नूर सेंटर ने हाल ही में प्रोफेसर हकीम मुहम्मद कमालुद्दीन हुसैन हमदानी द्वारा संकलित 'हयात अल्लामा कंटूरी' प्रकाशित किया हैं।

नूर सेंटर द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'हयात अल्लामा कंतूरी' में वैश्विक ख्याति प्राप्त सैय्यद गुलाम हसनैन 'अल्लामा कंटूरी' की संक्षिप्त जीवनी के साथ उनके द्वारा की गई महान शैक्षणिक उपलब्धियां शामिल हैं जो प्रोफेसर हमदानी की वह थीसिस है जो उन्होंने अलीगढ़ विश्वविद्यालय में शिया धर्मशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. अल्लामा सैय्यद मुजतबा हसन कमोनपुरी की देखरेख में लिखा था।

पुस्तक में सर्वप्रथम अल्लामा कमोनपुरी की टिप्पणी शामिल है। पुस्तक में लेखक ने अल्लामा कंटूरी के व्यक्तित्व, परिवार, वंशावली, शिक्षण और शिक्षा के साथ-साथ उनके समकालीन मुज्तहिदों और शिक्षकों द्वारा दी गई इज्तिहाद की अनुमति का उल्लेख किया है।

इसके साथ ही पुस्तक में स्वर्गीय अल्लामा की विभिन्न विज्ञानों और कलाओं की विशेषज्ञता, विशेष रूप से चिकित्सा, रसायन विज्ञान और चिकित्सा में अल्लामा कंतूरी की विशेषज्ञता को कहीं विस्तार से और कहीं उच्च सौंदर्य में लिखा गया हैं।

पुस्तक को दो भागों में बांटा गया है, जिसके पहले भाग में अल्लामा के व्यक्तित्व, परिवार, उपदेशात्मक सेवाओं, वैज्ञानिक और तकनीकी गतिविधियों का उल्लेख हैं।
जबकि दूसरे भाग में रसायन विज्ञान में उनके बहुमूल्य ज्ञान के साथ-साथ दवा और चिकित्सा के नुस्खे और मूल्यवान उपाय और सुझाव लिखे गए हैं।

इसके अतिरिक्त पुस्तक में अल्लामा के अन्य कार्यों एवं अनुवादों का नाम सहित उल्लेख किया गया है पुस्तक के लेखक प्रोफेसर कमालुद्दीन हुसैन हमदानी ने इस शोध पत्र को प्रभावी एवं उपयोगी बनाने के उद्देश्य से अपना शोध पत्र विश्वसनीय एवं प्रमाणिक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है इसके लिए लेखक प्रशंसा पात्र हैं तथा यह अवसर इंटरनेशनल नूर माइक्रो फिल्म सेंटर के लिए खुशी और गर्व का स्रोत है।

ध्यान रहे नूर माइक्रो फिल्म सेंटर के निदेशक डॉ. मेहदी ख्वाजा पीरी के मार्गदर्शन में शोधकर्ताओं और बुद्धिजीवियों की पूरी टीम देश के कोने कोने से खराब हो चुके दुर्लभ पांडुलिपियों की खोज कर उन्हें सुंदर पुस्तक का रूप दे रहा है और डिजिटाइज करके उन्हें हमेशा के लिए संरक्षित करने का काम कर रहा है  इस संबंध में अब तक सेंटर कई उत्कृष्ट कृतियां जारी हो चुकी हैं, जिन्हें काफी सराहना मिली हैं।

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