हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली खामेनेई ने फरमाया,अमरीकियों को इस इंक़ेलाब और इस क़ौम से क्यों बैर है?इसका कारण साफ़ है।
एक दिन वह था कि इस मुल्क में सबसे बड़े ओहदेदार से लेकर सबसे निचली सतह के कर्मचारी तक अमरीका की मुट्ठी में थे और वह अपने हित इस मुल्क से साधता था। इस मुल्क में एक बादशाह था जो अमरीका के सामने ख़ुद को जवाबदेह समझता था और आज की ज़बान में पूरी तरह समर्पित नौकर था।
अहम काम जो इस मुल्क में अंजाम पाते रहे हैं या तो वो अमरीकी पूंजीपतियों के ज़रिए या उन ज़ायोनी पूंजीपतियों के ज़रिए अंजाम पाया करते थे जो उसी विश्व साम्राज्यवाद का हिस्सा थे।
हक़ीक़त यह है कि पहलवी शासन काल के दूसरे दौर यानी 19 अगस्त सन 1953 के बाद के दौर में ईरान पूरी तरह अमरीका के हाथ में रहा है। अचानक एक इंक़ेलाब आया जिसने ईरानी अवाम को बेदार कर दिया और अवाम ने इस इंक़ेलाब को कामयाब बना दिया।